बड़ी सोच
badisoch -इन्सान उतना ही बड़ा है जितनी बड़ी उसकी सोच |वास्तव में यदि गहराई से हमारे आसपास के माहौल का अध्ययन करेंगे,तो हमें लोगो में काफ़ी आर्थिक असमानता दिखाई देती है | और इस असमानता के कारण का भी यदि अध्ययन करेंगे,तो लोग भिन्न-भिन्न कारण बताएँगे | कुछ लोग भौतिक संसाधनों के अभाव का कारण, तो कुछ लोग अपने स्वास्थ्य की परेशानी का कारण बताएँगे |इसी प्रकार कुछ पारिवारिक कारण,तो कुछ आपसी अथवा पडोसी से झगडे का कारण बताएँगे |लेकिन , यदि वास्तव में असमानता और विशेषकर आर्थिक असमानता का कारण ज्ञात करेंगे,तो लगभग एक ही कारण भी और समाधान भी वही है |जो हमें समझना होगा |अर्थात हमारी सोच | (संकीर्ण या छोटी सोच) अथवा नजरिया ही कारण है |और सोच (व्यापक या बड़ी सोच) से ही समाधान है |
दरअसल हमारी आर्थिक असमानता का कारण भौतिक संसाधनों का अभाव नहीं अपितु हमारी सोच का अंतर ही होता है |इसलिए विदित रहे ‘बड़ा सोचो और बड़े बनो |’ अर्थात आप यदि आर्थिक रुप से अमीर बनना चाहते हो तो,आपको सर्व-प्रथम अमीर बनने के बारे में सोचना चाहिए |फिर योजना बनाकर कार्य रूप देना चाहिए | इसी प्रकार कोई विधार्थी IAS बनना चहता है,तो उसे आईएएस बनने के बारे में सोचना पड़ेगा |
हो सकता है,शुरु में सफलता मिले भी और ना भी मिले |लेकिन सोच कर प्रयासरत रहना चाहिए |सफलता भी मिलेगी |यदि वही व्यक्ति यह सोचता है,कि मुझे क्लर्क बनना है |तो वह क्लर्क ही बनेगा |बैगर सोचे वह आईएएस कैसे बनेगा ?इसी प्रकार किसी भी स्थिति के लिए व्यक्ति की सोच ही उसका भविष्य तय करती है |
अतः व्यक्ति को बड़ी सोच रखनी चाहिए |साथ ही सकारात्मक विचारो वाले लोगो के साथ सम्पर्क या बैठना चाहिए |बड़ा लक्ष्य बनाकर खुशनुमा मिजाज अपनाना चाहिए |तथा लोगो के लिए सदा ही मददगार बनना चाहिए |हम और आप उतने ही बड़े और अमीर होंगे,जैसी हमारी सोच |अतः सकारात्मक नजरिया एवं बड़ी सोच रखे |
badisoch – person is as big as his thinking. In fact if we study the environment around us deeply, then we see a lot of economic inequality among people. And if we study the reason for this inequality, then people will give different reasons. Some people will give the reason for lack of material resources, some people will cause their health problems. Similarly some family reasons, some will give reasons for quarreling with mutual or neighbors. But, if in fact the cause of inequality and especially economic inequality is known. If we do, then almost the same reason and solution is the same. Which we have to understand. That is our thinking. (Narrow or small thinking) or vision is the reason. And thinking (broad or big thinking) is the only solution.
Actually, the reason for our economic inequality is not the lack of material resources but the difference in our thinking. So, be aware that ‘Think big and be big.’ That is, if you want to become financially rich, then you should first think about becoming rich. Then you should plan and work. Similarly, if a student wants to become an IAS, then he will have to think about becoming an IAS.
Maybe, you may get success in the beginning or not. But you should try and think. You will also get success. If the same person thinks that I have to become a clerk, then he will become a clerk. Think the bagger how he will become an IAS. Similarly, the thinking of a person for any situation determines his future.
So a person should have big thinking. Also, contact or sit with people with positive thoughts. Make a big goal and adopt a pleasant mood. Always be helpful to people. We and you will be as big and rich as you are. Our thinking. So keep a positive attitude and big thinking.