Thursday, April 25, 2024
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Ravidas jayanti 2024 कब व कैसे मनाई जाती है रविदास जयंती ?

Sant Guru Ravidas Jayanti 2024: गुरु रविदास जयंती प्रति वर्ष माघी पूर्णिमा, शोभन माघ को मनाई जाती है। Ravidas jayanti को रैदास जयंती नाम से भी जाना जाता है। यह जयंती खासकर गुरु संत रविदास के जन्मोत्सव को मनाने के लिए लिए मनाई जाती है। Ravidas jayanti हर वर्ष हिंदी महीनों के अनुसार माघ शुक्ल, माघी पूर्णिमा को आती है।

 कहां हुआ था गुरु रविदास जी का जन्म?

Ravidas jayanti 2024: ऐसा कहा जाता है कि गुरु रविदास जी का जन्म यूपी के काशी में हुआ था। ऐसे में इनके जन्मदिन यानी माघ पूर्णिमा के दिन दुनियाभर से लाखों लोग काशी पहुंचते हैं। यहां पर भव्य उत्सव मनाया जाता है। साथ ही रविदास जयंती को सिख धर्म के लोग बेहद ही श्रद्धा से मनाते हैं। इस दिन के दो दिन पहले गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। इसे पूर्णिमा के दिन समाप्त किया जाता है। इसके बाद कीर्तन दरबार होता है। साथ ही रागी जत्था गुरु रविदास जी की वाणियों का गायन करते हैं।

 

 

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Ravidas jayanti 2024: इस साल कब है रविदास जयंती ?

Sant Ravidas Jayanti 2024: संत रविदास जयंती 5 फरवरी को है। संत रविदास का जन्म हिन्दू कैलेंडर के आधार पर माघ माह (Magh Month) की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, इसलिए हर साल माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) को रविदास जयंती मनाते हैं।

संत रविदास धार्मिक प्रवृति के दयालु एवं परोपकारी व्यक्ति थे। उनका जीवन दूसरों की भलाई करने में और समाज का मार्गदर्शन करने में व्यतीत हुआ। वे भक्तिकालीन संत एवं महान समाज सुधारक थे। उनके उपदेशों एवं शिक्षाओं से आज भी समाज को मार्गदर्शन मिलता है। संत रविदास को रैदास, गुरु रविदास, रोहिदास जैसे नामों से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं संत रविदास के उपदेशों (Teachings) के बारे में।

Ravidas jayanti

Ravidas jayanti: संत रविदास के महत्वपूर्ण उपदेश

1. व्यक्ति पद या जन्म से बड़ा या छोटा नहीं होता है, वह गुणों या कर्मों से बड़ा या छोटा होता है।
रैदास जन्म के कारणै, होत न कोई नीच।
नर को नीच करि डारि हैं, औछे करम की कीच।।

2. वे समाज में वर्ण व्यवस्था के विरोधी थे। उन्होंने कहा है कि सभी प्रभु की संतान हैं, किसी की कोई जात नहीं है।
‘जन्म जात मत पूछिए, का जात और पात।
रैदास पूत सम प्रभु के कोई नहिं जात-कुजात।।

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3. रविदास जी ने बताया है कि सच्चे मन में ही प्रभु का वास होता है। जिनके मन में छल कपट होता है, उनके अंदर प्रभु का वास नहीं होता है। संत रैदास ने कहा है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा।
का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार।
रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार।।

4. संत रविदास जी ने दुराचार, अधिक धन का संचय, अनैतिकता और मांसाहार को गलत माना है। उन्होंने अंधविश्वास, भेदभाव, मानसिक संकीर्णता को समाज विरोधी माना है।

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5. संत रविदास जी भी कर्म को प्रधानता देते थे। उनका कहना था, कि व्यक्ति को कर्म में विश्वास करना चाहिए। आप कर्म करेंगे, तभी आपको फल की प्राप्ति होगी। फल की चिंता से कर्म न करें।

6. संत रैदास ने कहा है कि व्यक्ति को अभिमान नहीं करना चाहिए। दूसरों को तुच्छ न समझें। उनकी क्षमता जिस कार्य को करने की है, संभवत: वह आप नहीं कर सकते।

7. वे कहते हैं कि हम सभी यह सोचते हैं कि संसार ही सब कुछ है। लेकिन यह सत्य नहीं है। परमात्मा ही सत्य है।

(Disclaimer: Ravidas jayanti इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं।हम इनकी पुष्टि नहीं करते। है। इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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