What Emotional Intelligence is भावनात्मक बुद्धिमत्ता क्या है
Contents
- 1 What Emotional Intelligence is भावनात्मक बुद्धिमत्ता क्या है
- 2 Test of Emotional Intelligence भावनात्मक बुद्धि का परीक्षण
- 3 Test of Emotional Intelligence Details
- 4 भावनात्मक बुद्धि की पृष्ठभूमि (test of emotional intelligence)
- 5 मेयर और सालोवे (क्षमता प्रारूप)
- 6 भावनात्मक बुद्धि व समझ रखने वाले प्रशासक के गुण
test of emotional intelligence: भावनात्मक बुद्धि का परीक्षण अपनी भावनाओं को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित व निर्देशित कर, पारस्परिक संबंधों का विवेकानुसार और सामंजस्यपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने की क्षमता भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) कहलाती है।
Test of Emotional Intelligence भावनात्मक बुद्धि का परीक्षण
भावनात्मक बुद्धि के तीन नमूने है। क्षमता नमूना पीटर सालवोय और जॉन मेयर द्वारा सांचलित है जो भावनात्मक प्रक्रिया की जानकारी और सामाजिक वातावरण नेविगेट करने के लिए इसका इस्तेमाल करने के लिए व्यक्ति की क्षमता पर केंद्रित है ।
Test of Emotional Intelligence Details
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भावनात्मक बुद्धि की पृष्ठभूमि (test of emotional intelligence)
भावनात्मक बुद्धि का उल्लेख सर्वप्रथम अरस्तु द्वारा 350 ई.पू. में ही कर दिया गया था लेकिन तब यह शब्द प्रचलित नहीं हो पाया था। ‘इमोशनल इंटेलिजेंस’ शब्द सर्वप्रथम येले विश्वविद्यालय के टो सहकर्मियों पीटर सालोवे और जॉन मेयर द्वारा 1990 में प्रतिपादित किया गया परन्त इस पद को व्याख्यायित करने का श्रेय प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डेनियल गोलमेन (1995) को जाता है। डेनियल गोलमेन ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक “इमोशनल इंटेलिजेंस: व्हाई इट कैन मैटर मोर दैन आई. क्यू.”
भावनात्मक बुद्धि का औचित्य
भावनात्मक बुद्धि अथवा समझ की सार्थकता इस बात में है कि इसके माध्यम से मानवीय संबंध स्वस्थ और बेहतर बनाए जा सकते हैं। साथ ही इसकी महत्ता इस बात में भी है कि इसके सहारे जीवन से जुड़ी चुनौतियों से जूझने तथा इन चुनौतियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर समस्याओं के समाधान में मदद मिलती है। संक्षेप में, भावनात्मक बुद्धि हमें एक बेहतर जीवन जीने की क्षमता प्रदान करती है।
भावनात्मक बुद्धि – दिल व दिमाग का सम्मिश्रण
भावनात्मक बुद्धि के बारे में यह समझना अनिवार्य है कि यह बुद्धि का प्रतिपक्ष नहीं है, अर्थात् बुद्धि तथा भावनात्मक बुद्धि – ये दो अवधारणायें एक-दूसरे के प्रतिकूल नहीं हैं। भावनात्मक बुद्धि अथवा समझ का यह अभिप्राय भी कदापि नहीं है कि इसके द्वारा दिल पर दिमाग की जीत हासिल की जाती है, अर्थात् इसके अन्तर्गत भावनाओं पर बुद्धि की विजय होती है। वस्तुतः भावनात्मक बुद्धि तो दिल व दिमाग का एक अनुपम संयोग है। अगर भावना, बुद्धि तथा चेतना के विभिन्न पक्षों यथा अनुरक्ति/मनोभाव, संज्ञान/चिन्तन तथा संकल्प शक्ति/प्रेरणा की परिभाषाओं पर गौर किया जाए जो यह स्पष्ट हा जाता है कि भावनात्मक बुद्धि में अनुरक्ति का संज्ञानात्मक क्षमता से तथा भावना का बुद्धि के साथ अनुपम संयोग होता है और ये सब सम्मिलित रूप से भावनात्मक बद्धि के रूप में जाने जाते है।
अत: हम यह कह सकते हैं कि भावनात्मक बद्धि हमारी वह क्षमता है जिसके द्वारा हम अपना। का समाधान करते हैं तथा एक बेहतर एवं गुणात्मक रूप से उत्तम और प्रभावशाली जीवन जीने की कोशिश करते हैं। भावनात्मक बुद्धि में भावना हो परन्तु बद्धि नहीं या फिर बुद्धि हो लेकिन भावन नही, तो इससे हमारी समस्याओं का आंशिक समाधान ही संभव हो पाएगा। समस्याओं के पूर्ण समाधान के लिए दिल व दिमाग दोनों की जरूरत पड़ती है और भावनात्मक बुद्धि (Emotional mergence) में ये दोनों ही तत्व शामिल होते हैं।
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मेयर और सालोवे (क्षमता प्रारूप)
जैसा कि मेयर और सालोवे ने कहा है- भावनात्मक बुद्धि वह क्षमता है जिससे भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है और भावनात्मक बुद्धि के द्वारा ही मनोभावों को समझने, भावनाओं को उत्पन्न करने तथा भावनात्मक ज्ञान को भी समझने में मदद मिलती है। साथ ही भावनाओं को नियंत्रित व निर्देशित करने का कार्य भी सम्पन्न होता है। मेयर तथा सालोवे की इस परिभाषा से भावनात्मक बुद्धि के चार मुख्य पक्ष स्पष्ट रूप से उभर कर आते हैं
भावनाओं को महसूस करना
भावनाओं को बेहतर तरीके से समझने के लिए सर्वप्रथम यह जरूरी है कि उन्हें अच्छी तरह और पूर्ण रूप से महसूस किया जाए। कई बार भावनाओं को महसूस करने के लिए शब्द या भाषा को सुनने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि चेहरे के हाव-भाव तथा बॉडी लैंग्वेज से भी भावनाओं को महसूस कर लिया जाता है और तब उसकी बेहतर समझ भी हो जाती है।
भावनाओं का विवेचन करना
भावनाओं के विवेचन का अर्थ है भावनाओं को समझकर चिंतन । तथा संज्ञान के द्वारा भावनाओं के अनुरूप अनुक्रिया करना। भावनाओं को महसूस कर हम यह समझ पाते हैं कि हमें कब और कैसे अपनी प्रतिक्रिया देनी है। आमतौर पर भावनात्मक रूप से हम उन्हीं वस्तुओं, विचारों या व्यक्तियों के प्रति अपनी अनुक्रिया देते हैं जो हमारा ध्यान अधिक तेजी से अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
भावनाओं को समझना
भावनाओं में कई बातें छुपी हो सकती हैं। अतः जब भावनाओं को महसूस किया जाता है तो यह समझना भी जरूरी हो जाता है कि उनका अभिप्राय क्या है? अगर कोई व्यक्ति क्रोध प्रकट कर रहा है तो निरीक्षक के लिए यह समझना जरूरी है कि इस क्रोध की वजह क्या है और इसका क्या मकसद हो सकता है? उदाहरण के लिए, अगर हमारा बॉस (कार्य स्थल पर) हमसे क्रोधित है, इसका मतलब यह हो सकता है कि वह हमारे काम से खुश नहीं है या फिर वह अपने घर से ही क्रोधित होकर आया है। मन्तव्य यह है कि भावना को समझना अति आवश्यक है।
भावनाओं को सुव्यवस्थित करना (प्रबंधन)
भावनात्मक बुद्धि का एक अहम पक्ष है भावनाओं का नियंत्रण एवं प्रबंधन। भावना प्रबंधन के अन्तर्गत भावनाओं को नियंत्रित व निर्देशित करना तथा दूसरों की भावनाओं के प्रति उचित तरीके से अनुक्रिया करना आदि बातें शामिल की जाती हैं।
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भावनात्मक बुद्धि व समझ रखने वाले प्रशासक के गुण
भावनात्मक बुद्धि व समझ रखने वाले प्रशासक में यह सामर्थ्य होता है कि वह-
- विवादों का रचनात्मक ढंग से समाधान कर सके।
- दूसरों के संवेगों और उनकी अभिव्यक्तियों (क्रोध आदि) को व्यक्तिगत स्तर पर न ले तथा अपने व्यवहार को नियंत्रित कर सके।
- किसी भी प्रकार की अनिश्चितता अथवा परिवर्तन के साथ अपना समझ बिठा सके।
- निर्णयों को प्रभावित करने वाले नैतिक मूल्यों व विश्वासों को समझ सके अर्थात् उनकी पहचान कर सके।
- दूसरे व्यक्तियों के विभिन्न संवेगों और परिस्थितियों को समझे और उनसे समानुभूति प्रकट कर सके।
- अन्य को भी अपने साथ लेकर चल सके।
- सभी परिस्थितियों में असामाजिक तत्वों अथवा नासमझ व्यक्तियों के साथ युक्तियुक्त व्यवहार कर सके।
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