what trends on twitter- सोशल नेटवर्किंग साइट टि्वटर (twitter) दुनिया में जितना मशहूर है, उतना ही ट्रोल और ट्रेंड (trends) जैसे शब्द भी प्रसिद्ध हैं। हालांकि लोग ट्विटर के बारे में बहुत कुछ जानते हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ट्रोल और ट्रेंड की जानकारी लोगों को कम होती है। क्योंकि यह तकनीकी काम है जिसे टेक्नोलॉजी में माहिर लोग अंजाम देते हैं।
यहां हम आपको बताते हैं कि what trends on twitter और टि्वटर पर इसका साम्राज्य कैसे चलता है? लोग ट्रोल के जरिये एक दूसरे की कैसे टांग खिंचाई करते हैं? लोग सोशल मीडिया में टॉपिक ट्रेंड कराने के लिए इंटरनेट पर बोट्स खरीदते हैं। ये बोट्स सोशल मीडिया पर लाइक्स और कमेंट्स करते हैं।
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क्या होता है टि्वटर ट्रेंड ?-अगर आप ट्वीट देखते या पढ़ते रहते हैं तो, आपको ट्रेंड की भी जानकारी होगी। इसे आप हैशटैग (hashtag) के जरिये भी पहचान सकते हैं। ट्रेंड का मतलब है कि, टि्वटर पर कौन सा टॉपिक ज्यादा चर्चा में है? और लोग उसे सर्च कर रहे हैं या उसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। कई बार ऐसा देखने में आता है कि, किसी घटना या इवेंट के बाद अचानक कोई टॉपिट ट्रेंड में आ जाता है।
कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि, अपने बिजनेस या प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए लोग ट्रेंड कराते हैं। अगर कोई यह कहे कि, टि्वटर पर पीएम मोदी या राहुल गांधी ट्रेंड कर रहे हैं। इसका मतलब हुआ कि टिवटर पर ज्यादा से ज्यादा लोग इनके बारे में बात कर रहे हैं। सवाल है कि, ट्रेंड कराने के लिए टि्वटर का इस्तेमाल कैसे होता है? कैसे कोई टॉपिक अचानक ट्रेंड में आ जाता है? आइए इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं.
What trend on Twitter Overview
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कैसे होता है टि्वटर पर ट्रेंड?
कैसे होता है टि्वटर पर ट्रेंड ट्रेंड का सीधा संबंध हैशटैग (#) से जुड़ा है। यानी कि जितने लोग हैशटैग का प्रयोग करेंगे, उसका ट्रेंड उतना ही बढ़ता जाएगा। समूह में हैशटैग से ट्रेंड कराना ज्यादा आसान है, न कि व्यक्तिगत तौर पर। इसीलिए किसी मुद्दे पर बड़ी राय लेनी हो तो, लोग हैशटैग का इस्तेमाल करते हैं। आप चाहें तो अपने टि्वटर अकाउंट में ट्रेंडिंग सेक्शन पर जाकर रियल टाइम डाटा देख सकते हैं कि किसी टॉपिक पर लोग क्या कितने लोग चर्चा कर रहे हैं।
इंटरनेट रोबोट या बोट्स ट्रेंड कराने के लिए सबसे ज्यादा बोट्स या इंटरनेट रोबोट्स का इस्तेमाल होता है। बोट्स सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन होता है, जो इंटरनेट पर ऑटोमेटेड टास्क चलाता है। इसी काम में ट्रेंडिग भी आता है। लोग ट्रेंड कराने के लिए इंटरनेट पर बोट्स खरीदते हैं। ये बोट्स सोशल मीडिया पर लाइक्स और कमेंट्स करते हैं। किसी खास कीवर्ड के लिए इन्हें प्रोग्राम किया जाता है। ये अच्छे और बुरे दोनों कमेंट करते हैं और ट्वीट को रीट्वीट भी करते हैं। सोशल मीडिया पर जब कोई एक्टिविटी ज्यादा दिखती है तो, वह टॉपिक ट्रेंड करने लगता है।
कई देशों में राजनीतिक फायदे के लिए फर्जी ट्रेंड इस्तेमाल होते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में बोट्स ने 17 देशों की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश की। बोट्स फेक न्यूज फैलाते हैं, आलोचना को दबाते हैं और प्रोपगैंडा का काम करते हैं। ट्रेंड्स के साथ कई तरह की छेड़छाड़ हो सकती है। जैसे कोई सरकार के खिलाफ हैशटैग चला दे तो बोट्स के जरिये उस हैशटैग के खिलाफ कैंपेन चलाया जा सकता है। इसके बाद असली हैशटैग टॉप ट्रेंड की लिस्ट से गायब हो जाएगा।
बोट्स (bots) के जरिये किसी हैशटैग को बदनाम भी किया जाता है। उसी हैशटैग के साथ गालियां और भद्दे कमेंट्स किए जाते हैं। इस तरह उस हैशटैग के साथ उलजुलूल चीजें ही देखने को मिलेंगी। छेड़छाड़ करने के लिए इंटरनेट में और भी कई तरीके हैं। लेकिन हम समझ नहीं पाते कि किसी ट्रेंड के पीछे बोट्स छिपे हैं जो इसे आगे बढ़ाते हैं। ऐसा ही हाल होता है इंटरनेट ट्रोल्स का जो इंटरनेट पर खूब तंग करते हैं।
इंटरनेट पर ट्रोल का आतंक इंटरनेट की भाषा में ट्रोल (trolls) उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी ऑनलाइन कम्युनिटी में अभद्र, अपमानजनक, भड़काऊ, या अनर्गल पोस्ट करता है। ट्रोल्स में कोई मजाक उड़ाता है, कोई भद्दी गाली देता है तो कोई असली शब्दों को तोड़ मरोड़ देता है। इससे बचने का बस एक ही उपाय है कि, ट्रोल्स के बारे में एडमिन को बताएं और और भी लोगों का ध्यान इस ओर खींचें। ट्रोल में ज्यादा खतरा तब होता है, जब एक बड़ा समूह लोगों की सोच को प्रभावित करता है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि, वेबसाइट के एडमिनिस्ट्रेटर को इसकी जानकारी दी जाए और इसे ब्लॉक कराया जाए।
निष्कर्ष
दरअसल ट्रोलिंग एक सोचे-समझे एजेंडा के तहत काम करती है। ट्रोल्स सोशल मीडिया पर अपने संख्या बल से बताते हैं कि, हम तर्क से नहीं तो संख्या बल से किसी को भी दबा सकते हैं।
ट्रोल्स इंटरनेट पर इसलिए अपना एजेंडा आसानी से चला लेते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी पहचान उजागर नहीं होगी। इसलिए आजकल इस पर काफी सख्ती है। और टि्वटर और यू-ट्यूब जैसी साइट्स फर्जी अकाउंट का पता लगाकर उन्हें हटाती हैं। गूगल जैसी बड़ी कंपनी को आज यह बताना पड़ रहा है कि, उसने कितने फर्जी अकाउंट खत्म किए और ट्रोल्स की पहचा कर मुकदमे दर्ज कराए। ऐसी ही जवाबदेही फेसबुक के साथ भी चस्पा की गई है।
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