World Health Organisation परिचय-
World Health Organisation की स्थापना 07 अप्रैल 1948 को हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) विश्व के देशों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। World Health Organisation (WHO) संयुक्त राष्ट्र के 16 विशिष्ट अभिकरणों (Specialised Agencies) में से एक है। जिसका प्रमुख उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य में प्रोन्नति लाना है। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। WHO का मुख्यालय स्विट्ज़रलैण्ड के जिनेवा शहर में स्थित है।
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यह विश्व का स्वास्थ्य सम्बंधी अग्रणी संगठन है। इसकी नीतियों, कार्यक्रमों तथा प्रयासों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जन स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सेवाएं विश्व भर में फैली हैं। दुनिया का सबसे बड़ा ब्लड बैंक भी इन्हीं के पास है। मलेरिया, पोलियो, चेचक, हैजा, वायरल आदि कई बीमारियों को रोकने में विश्व स्वास्थ्य संगठन का विशेष योगदान रहा है।
आज अपनी सही कार्यशैली और नियंत्रण की वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन को पूरी दुनिया में सम्मान की निगाहों से देखा जाता है। वर्तमान बोर्ड चेयरमैन डॉक्टर हर्ष वर्धन जी (भारत से) है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व स्वास्थ्य स्तर में अत्यधिक सुधार आया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यक्रम WHO Programs
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य सुधार तथा पोषण स्तर में वृद्धि का प्रयास किया गया :
- स्वास्थ्य- शिक्षा ।
- भोजन, खाद्य- सुरक्षा एवं पोषण ।
- स्वच्छ जल एवं आधारभूत स्वच्छता ।
- टीकाकरण ।
- स्थानीय रोगों की रोकथाम तथा उपचार ।
- सामान्य बीमारियों तथा घावों का इलाज ।
- अनिवार्य दवाओं की उपलब्धता, इत्यादि ।
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कार्य-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य तीन विभिन्न तत्वों के द्वारा किये जाते हैं, जो हैं: विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) , कार्यपालक बोर्ड (Executive Board) तथा सचिवालय (Secretariat)। जिनमे से विश्व स्वास्थ्य सभा सबसे प्रमुख है, तथा प्रतिवर्ष अपने सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के मध्य एक सम्मलेन का आयोजन करती है।
ज़िम्मेदारी-
विश्व स्वास्थ्य संगठन की जिम्मेदारियों तथा कार्य के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ करने में सरकारों की सहायता करना। प्रशासन तथा तकनीकी सुविधाओं को स्थापित एवं नियमित रूप से संचालित करना। जैसे क़ि महामारी विज्ञान तथा सांख्यिकी विज्ञान के आंकड़ें तैयार करना, बीमारियों के पूरी तरह से खात्मे में सहायता करना, पोषण, स्वच्छता, कार्य परिस्थितियां आदि में सुधार करना।
साथ ही पर्यावरणीय स्वच्छता में सुधार करना। वैज्ञानिक तथा कुशल व्यक्ति समूहों के मध्य सहयोग स्थापित करवाना। स्वास्थ्य सुधार से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों तथा समझौतों को प्रस्तावित करना। शोध- अनुसन्धान करना।
वास्तव में, World Health Organisation एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी संगठन है जो कि विश्व की स्वास्थ्य परिस्थितियों पर अपनी पैनी नजर रखती है। तथा विभिन्न राष्ट्रों के स्वास्थ्य स्तर को ऊपर लेन के लिए प्रयास करती है। जिससे कि समस्त विश्व समुदाय की स्वास्थ्य दशाओं को बेहतर किया जा सके।
World Health Organisation की उपलब्धिया-
WHO ने अपनी स्थापना के पहले दशक (वर्ष 1948-58) के दौरान विकासशील देशों के लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले विशिष्ट संक्रामक रोगों पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया ।
वर्ष 1958 से 1968 की अवधि में अफ्रीका में कई उपनिवेश स्वतंत्र हुए जो बाद में संगठन के सदस्य बन गए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1960 के दशक में विश्व रासायनिक उद्योग (World Chemical Industry) के साथ मिलकर कार्य किया ताकि ओनोकोसेरिएसिस (रिवर ब्लाइंडनेस) और सिस्टोसोमियासिस (Schistosomiasis) के रोगवाहक से लड़ने के लिये नए कीटनाशक विकसित किये जा सकें। बीमारियों एवं मृत्यु के कारणों की नामपद्धति का वैश्विक मानकीकरण करना अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संचार में WHO का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
WHO की स्थापना के तीसरे दशक (1968-78) में विश्व में चेचक उन्मूलन के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त हुई। वर्ष 1967 तक 31 देशों में चेचक स्थानिक रोग था । इससे लगभग 10 से 15 मिलियन लोग प्रभावित थे ।
सभी प्रभावित देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं की टीमों द्वारा इस विषय पर काम किया गया था जिसका WHO ने नेतृत्व एवं समन्वय किया ।
इस विशाल अभियान से वैश्विक स्तर पर बच्चों को प्रभावित करने वाले छह रोगों डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खाँसी, खसरा, पोलियोमाइलाइटिस ( poliomyelitis) एवं क्षय रोग के प्रति टीकाकरण (BCG वैक्सीन के साथ) का विस्तार किया।
राजनीतिक कारणों से लंबे असमंजस के बाद इस अवधि में WHO ने संपूर्ण विश्व में मानव प्रजनन पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर परिवार नियोजन के क्षेत्र में प्रवेश किया। मलेरिया एवं कुष्ठ रोग के नियंत्रण के लिये भी नए प्रयास किये गए।
World Health Organisation की स्थापना के चौथे दशक (1978-88) की शुरुआत WHO और यूनिसेफ के एक वृहद् वैश्विक सम्मेलन द्वारा हुई। यह सम्मेलन सोवियत संघ के एशियाई हिस्से में स्थित एक शहर ‘अल्मा अता’ (Alma Ata) में आयोजित किया गया था। अल्मा अता सम्मेलन में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, निवारक एवं उपचारात्मक उपायों के महत्त्व पर बल दिया गया।
इस सम्मेलन में सामुदायिक भागीदारी पर बल देना, उपयुक्त तकनीक एवं अंतर्क्षेत्रीय सहयोग करना आदि विश्व स्वास्थ्य नीति के केंद्रीय स्तंभ बन गए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना के 30 वर्षों के उपरांत 134 सदस्य राष्ट्रों ने समान प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की जो कि इसके ध्येय वाक्य ‘सभी के लिये स्वास्थ्य’ (Health for All) में सन्निहित है।
अंतर्राष्ट्रीय पेयजल आपूर्ति– संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1980 में सभी के लिये सुरक्षित पेयजल एवं पर्याप्त उत्सर्जन निपटान के प्रावधान हेतु की गई ‘अंतर्राष्ट्रीय पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता दशक’ (वर्ष 1981-90) की घोषणा World Health Organisation द्वारा समर्थित थी।
इस अवधि में प्रत्येक देश को वैश्विक बाज़ारों में बेचे जाने वाले हजारों ब्रांड के उत्पादों के बजाय सभी सार्वजनिक सुविधाओं में उपयोग के लिये ‘आवश्यक दवाओं’ की एक सूची विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया गया था।
डायरिया बीमारी पर नियंत्रण– ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी द्वारा संपूर्ण विश्व में शिशुओं में होने वाली डायरिया नामक बीमारी पर नियंत्रण एक और बड़ी सफलता थी जो कि बहुत ही सरल सिद्धांतों पर आधारित थी।
नेटवर्क: वर्ष 1995 में कांगो में इबोला वायरस का प्रकोप जिससे WHO तीन महीने तक अनभिज्ञ रहा, ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी एवं अधिसूचना प्रणालियों की एक चौंकाने वाली कमी का खुलासा किया।
अतः वर्ष 1997 में WHO ने कनाडा के साथ मिलकर ‘ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इंटेलिजेंस नेटवर्क’ (Global Public Health Intelligence Network-GPHIN) को सभी जगह प्रसारित किया जिसने संभावित महामारियों की सूचना देने के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करने हेतु इंटरनेट तकनीक का लाभ उठाया।
WHO ने वर्ष 2000 में GPHIN को ‘ग्लोबल आउटब्रेक अलर्ट रिस्पांस नेटवर्क’ (Global Outbreak Alert Response Network-GOARN) के साथ घटनाओं का विश्लेषण करने के लिये जोड़ दिया।
GOARN ने 120 नेटवर्क एवं संस्थानों को किसी भी संकट के प्रति तीव्र कार्रवाई करने के उद्देश्य से डेटा प्रयोगशालाओं, कौशल एवं अनुभव के साथ जोड़ दिया।
World Health Organisation द्वारा किये गए अन्य प्रयास:
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कैंसर से निपटने के लिये भी अपने प्रयासों में वृद्धि की है जो समृद्ध राष्ट्रों की तरह ही अब विकासशील देशों में भी मौतों का कारण बन रहा है।तंबाकू पुरुषों एवं महिलाओं दोनों की होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है।
इन मौतों को रोकने के लिये WHO द्वारा प्रत्येक देश में तंबाकू के सेवन को प्रतिबंधित करने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
एड्स की विश्वव्यापी महामारी ने इस घातक यौन संचारित वायरस के प्रसार को रोकने के लिये बढ़ते वैश्विक प्रयासों के बीच WHO के लिये एक और चुनौती पेश की है। WHO एचआईवी पीड़ितों के स्व-परीक्षण की सुविधा पर कार्य कर रहा है ताकि HIV पीड़ित अधिक लोगों को उनकी स्थिति का पता चल सके और वे सही उपचार प्राप्त कर सकें। इसी प्रकार कोरोना भी एक विश्वव्यापी महामारी है जो विश्व एव विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए चुनौती बना हुआ है ।
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Thanks for the Post!!
ok and thanks