yoga (योग) जीवन जीने की कला है। जानिए कैसे ?

yoga अथवा योग की उत्पत्ति- माना जाता है कि भारतीय पौराणिक युग से योग (yoga) की जड़े जुडी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है, कि भगवान शिव जी ने इस कला अथवा yoga (योग) को जन्म दिया। जिन्हें आदि योगी के रूप में भी माना जाता है, तथा दुनिया के सभी योग गुरुओं के लिए प्रेरणा माना जाता है। आइए विस्तार पूर्वक जानिए yoga (योग) जीवन जीने की कला है। जानिए कैसे?

योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है। भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग (yoga) का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में श्री कृष्ण जी , महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतंजली ने  इसे सुव्यवस्थित रूप दिया।

योग जीवन जीने की है उत्तम कला

योग आत्मा का विषय है जो स्वानुभूति कराता है। मानव के विचारों को एकाग्र कर भौतिक से सूक्ष्म, सूक्ष्म से अतिसूक्ष्म तक ले जाकर आत्मीय-बोध कराता है। योग का संबंध अंत:करण और बाह्य दोनों से है। योग मानव को इहलौकिक और पारलौकिक दोनों की यात्र कराता है। योग शरीर, मन और इंद्रियों की क्रिया है। एकमात्र योग ही ऐसी क्रिया है जो मन को वश में करने का मार्ग बताती है। योग जन्म से ही प्राप्त है। आसन-योग नहीं है। यह योग की एक बहिमरुखी क्रिया है जो शरीर को स्वस्थ रखती है, परंतु आसन को ही लोगों ने योग समझ लिया है। वैसे तो योग अनेक हैं और इसके सहयोग के बगैर बोधितत्व सत्य की प्राप्ति भी नहीं है। इसीलिए भक्ति के साथ योग है, ज्ञान के साथ भी योग है, क्रिया के साथ भी योग है, संकल्प के साथ भी योग है।

yoga (योग) जीवन जीने की कला है

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को क्यों मनाया जाता है?

भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने योग दिवस मनाने का विचार प्रस्तावित किया, ने सुझाव दिया कि यह 21 जून को मनाया जाना चाहिए। उनके द्वारा सुझाई गई इस तारीख का कारण सामान्य नहीं था। इस अवसर को मनाने के लिए प्रस्तावित कुछ कारण हैं।21 जून उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन है और इसे ग्रीष्मकालीन अस्थिरता कहा जाता है। यह दक्षिणाइया का एक संक्रमण प्रतीक है जिसे माना जाता है कि यह एक ऐसी अवधि होती है जो आध्यात्मिक प्रथाओं का समर्थन करती है। इस प्रकार योग की आध्यात्मिक कला का अभ्यास करने के लिए एक अच्छी अवधि माना जाता है।

भारतवर्ष के लिए उत्हसाहजनक पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बहुत उत्साह से मनाया गया। यह विशेष रूप से भारत के लिए एक खास दिन था। इसका कारण यह है कि प्राचीन काल में योग का जन्म भारत में हुआ था और इस स्तर पर इसे मान्यता प्राप्त होने के कारण यह हमारे लिए गर्व का विषय था।

इस प्रकार देश में बड़े पैमाने पर इसे मनाया गया।इस दिन के सम्मान में राजपथ, दिल्ली में एक बड़ा आयोजन आयोजित किया गया था। इस आयोजन में श्री मोदी और 84 देशों के उल्लेखनीय हस्तियों ने भाग लिया। इसके अलावा सामान्य जनता इस पहले योग दिवस समारोह के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित हुई।

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इस योग दिवस के दौरान 21 योग आसन किए गए थे। प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों ने लोगों को ये आसन करने के लिए निर्देशित किया और लोगों ने बड़े उत्साह से उनके निर्देशों का पालन किया। इस आयोजन ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स सेट किए।

पहला रिकॉर्ड सबसे बड़ी योग कक्षा के लिए बना जिसमें 35,985 प्रतिभागियों ने भाग लिया और दूसरा इसमें भाग लेने वाली देशों की सबसे बड़ी संख्या शामिल थी। आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा मंत्रालय, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) ने इस आयोजन की व्यवस्था की थी। आयुष मंत्री श्रीपाद येसो नाइक को इसके लिए पुरस्कार मिला।

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इसके अलावा देश में विभिन्न स्थानों पर कई योग शिविरों का आयोजन किया गया। विभिन्न योग आसन अभ्यास करने के लिए लोग पार्क, सामुदायिक हॉल और अन्य स्थानों में इकट्ठे हुए। योग प्रशिक्षकों ने लोगों को ये योग सत्र सफल बनाने के लिए प्रेरित किया।

yoga के प्रति जनता द्वारा दिखाया गया आश्चर्यजनक उत्साह

सामान्य जनता द्वारा दिखाया गया उत्साह आश्चर्यजनक था। न केवल महानगरों में रहने वाले लोगों ने बल्कि छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले लोगों ने भी योग सत्रों का आयोजन किया और इनमें भाग लिया। यह वाकई एक नज़ारा था। इतनी बड़ी भागीदारी क्यों की जा सकी इसका एक कारण यह है था कि संयोगवश 21 जून 2015 को रविवार का दिन था।

उसी दिन एन सी सी कैडेटों ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में “एकल वर्दीधारी युवा संगठन द्वारा एक साथ सबसे बड़ा योग प्रदर्शन” अपना नाम दर्ज करवाया। अतः सब बातों में एक बात यह है कि यह एक (yoga) अच्छी शुरुआत थी।

लोग न केवल पहली बार प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में बाहर आए, बल्कि योग को भी अपनी दैनिक दिनचर्या में भी शामिल करने के लिए प्रेरित किया। यदि हमारा ब्लॉग yoga (योग) जीवन जीने की कला है। जानिए कैसे? पसंद आया हो, तो लाइक और शेयर जरूर करे। धन्यवाद।।

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