Monday, April 15, 2024
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प्रेरक कहानी: दोस्त कौन? दुश्मन कौन? जानिए कैसे

प्रेरक कहानी: दोस्त कौन? दुश्मन कौन? जानिए कैसे –  अगर आपको कभी कभी अपने दोस्तों के व्यवहार को लेकर शक होता है। तो जांचिए कहीं वह दोस्त के भेष में कोई दुश्मन तो नहीं! हम अपनी लाइफ में बहुत सारे दोस्त बनाते हैं। अपने दुःख और खुशियों में हमेशा उनका साथ चाहते हैं। आपका नौकरी का संघर्ष हो या ब्रेकअप एक दोस्त ही होते हैं जो हर कदम आपका साथ निभाते हैं। जैसे-जैसे जीवन में आगे बढ़ते हैं कुछ नए दोस्त आपसे जुड़ते हैं तो कुछ पीछे छूट जाते हैं। लेकिन हर किसी की किस्मत अच्छी नहीं होती और कुछ लोग दोस्ती में धोखा खा जाते हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि कैसे पहचाने कि कौन असल में आपका दोस्त है और कौन दुश्मन? सच में दूसरों को पहचानना बहुत मुश्किल होता है। हो सकता है जो इंसान आपका दोस्त होने का दावा कर रहा है वह आपका दुश्मन हो। आज हम आपको ऐसे लोगों के कुछ लक्षण बताएंगे जिनकी मदद से शायद आप Frenemy को पहचान पाएंगे।

प्रेरक कहानी

Frenemy एक ऐसा शब्द है जो Friend और Enemy दोनों शब्दों से मिलकर बना है। वह व्यक्ति जो आपके साथ दोस्त बनकर रहता है लेकिन असल में आपके प्रति उसके विचार दुश्मन वाले होते हैं। वह आपके सामने आपका शुभचिंतक बनने का नाटक करता है। लेकिन वो सच में आपकी ज़िन्दगी का सबसे बुरा इंसान हो सकता है। उसके मन में हमेशा आपके लिए ईर्ष्या-भाव होता है।

प्रेरक कहानी: दोस्त कौन? दुश्मन कौन

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 गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन की प्रेरक कहानी

सिख धर्म में सेवा यानी गुरु घर का बहुत महत्व है। गुरु जी ने खुद भी संगत की सेवा की है और हमेशा सेवा करने का आदेश दिया है। गुरु घर के सेवादारों में एक प्रमुख सेवादार थे भाई घनैया जी। भाई घनैया जी गुरु गोविंद सिंह जी के दरबार में सेवा करते थे। भाई घनैया जी बहुत निर्मल स्वभाव के थे और गुरु घर में बहुत ही प्यार से सेवा करते थे।
जब गुरु गोविंद सिंह जी जुल्म का विरोध करते हुए युद्ध लड़ रहे थे, उस समय भाई घनैया जी निडर हो कर गुरु जी की सेना को पानी पिलाने की सेवा करते थे। पर भाई घनैया जी सिर्फ गुरु जी की सेना को ही नहीं बल्कि दुश्मन की सेना को भी पानी पिलाते थे। वो सेवा करते समय कभी यह नहीं सोचते थे कि जिसे वो पानी पिला रहे है, वो दोस्त है या दुश्मन।
घनैया जी कि इस सेवा से नाराज हो कर गुरु जी की सेना के कुछ लोग गुरु साहिब जी के पास पहुंचे और कहा कि भाई घनैया जी अपनी सेना के साथ-साथ दुश्मनों को भी पानी पिला रहे हैं। उन्हें रोका जाए।
गुरु गोविंद सिंह जी ने भाई घनैया जी को बुलाया और कहा- तेरी शिकायत आई है। भाई घनैया जी ने शिकायत सुनी और कहा, गुरु साहिब जी! मैं क्या करूं… मुझे तो जंग के मैदान में कोई नजर ही नहीं आता। मैं जहां भी देखता हूं, मुझे सिर्फ आप नजर आते है और मैं जो भी सेवा करता हूं वो सब आपकी ही होती है। उन्होंने कहा गुरु साहिब जी आपने कभी भेदभाव करने का पाठ सिखाया ही नहीं। गुरु गोविंद सिंह जी भाई घनैया जी की बात सुनकर बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि भाई घनैया जी आप गुरु घर के उपदेशों को सही मायने में समझ गए हैं।
गुरु गोविंद सिंह जी ने शिकायत करने आए लोगों से कहा कि हमारा कोई दुश्मन नहीं है। किसी धर्म, व्यक्ति से अपनी कोई दुश्मनी नहीं है। दुश्मनी है, जालिम के जुल्म से… ना कि किसी इंसान से। इसलिए सेवा करते समय सभी को एक जैसा ही मानना चाहिए। गुरु गोविंद सिंह जी ने भाई घनैया जी को मल्हम और पट्टी भी दी और कहा, ‘जहां आप पानी पिलाते हैं वहां दवाई लगाकर भी सब की सेवा की‍जिए।’ गुरु जी के उपदेशानुसार हमें याद रखना चाहिए कि सेवा करते समय हमारी दृष्टि सदैव समान रहें। (प्रेरक कहानी)
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parmender yadav
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