Ajit dobhal का जीवन परिचय- भारत के “जेम्स बांड” नाम से प्रसिद्ध सिर्फ एक ही इंसान हैं ‘अजीत सिंह डोभाल’।
अजीत कुमार डोभाल, भारत के प्रधानमंत्री के पांचवें और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। अजीत सिंह डोभाल ने पहले एक ऑपरेशन विंग के प्रमुख के रूप में एक दशक (2004-2005) बिताने के बाद अजीत डोभाल इंटेलिजेंस ब्यूरो (I.B) के निदेशक के रूप में कार्य किया था। जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति के निरसन (Revocation of the special status of Jammu and Kashmir) में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में भी माना जाता है। अजीत कुमार डोभाल भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त सदस्य भी हैं।
Ajit dobhal ने अपने जीवनकाल का ज्यादातर समय खुफ़िया विभाग में जासूसी करके गुजारा है। अजीत डोभाल ने अपने कैरियर में कई बार भारत के सुरक्षा मुद्दों पर अग्रणीय भूमिका निभाई है। पूर्व में हुई सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) और अभी हाल में हुई पाक आतंकियों पर भारतीय वायु सेना की एयर स्ट्राइक कार्यवाही में भी अजीत कुमार डोभाल की अहम भूमिका रही थी।
Ajit dobhal का जन्म, शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
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अजीत कुमार डोभाल का जन्म 29 जनवरी 1945, उत्तराखंड के पूर्ववर्ती संयुक्त प्रांत में गढ़ वाली परिवार में पौड़ी गढ़वाल में गिरि बानसेल्युन गाँव में हुआ था। Ajit dobhal के पिता का नाम मेजर जी.एन. डोभाल है जो की भारतीय सेना में एक अधिकारी थे। अजीत डोभाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर सैन्य स्कूल (जो की पहले किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल के नाम से जाना जाता था) अजमेर, राजस्थान में प्राप्त किया था। अजीत डोभाल ने 1967 में आगरा विश्वविद्यालय से अर्थ शास्त्र में स्नातकोत्तर (Masters in Economics) उपाधि प्राप्त किया था।
biography ajit dobhal – अपनी पढ़ाई पूरी कर के अजीत डोभाल ने आई.ए.एस बनने की सोची और देश की सेवा करने का मन्न बना लिया था। पूरी एक साल की मेहनत के बाद अजीत डोभाल का चयन साल 1968 के केरल आईपीएस बैच में हो गया था और अगले चार सालों तक देश के हित में बहुत से कार्य किये। Ajit dobhal 2 जनवरी 1972 से 9 जून 1972 तक , थालासेरी केरल में काम किया था। थलासेरी दंगा, 28 दिसंबर 1971 को केरल में शुरू हुआ था, जिसका कर्तव्य डोभाल को सौंपा गया। थालासेरी पहुंचने के तुरंत बाद अजीत डोभाल की प्राथमिकता दंगाइयों द्वारा लूटी गई संपत्तियों को वापस लेने की थी। अजीत डोभाल ने थालासेरी में पांच महीने तक काम किया और बाद में अजीत डोभाल केंद्रीय सेवा में शामिल हो गए।
साल 1972 में अजीत सिंह डोभाल इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau) से जुड़ गए और इंटेलिजेंस ब्यूरो में रह कर अजीत डोभाल जी ने एक खुफ़िआ जासूस के रूप में काम करना शुरू किया और काम करते हुए अजित डोभाल ने बहुत सी जानकारियाँ देश को दिया था। अजीत डोभाल ने देश के लिए कई अलग अलग देशों में जासूसी किया था जिसमें से पाकिस्तान में की हुई अजीत डोभाल की जासूसी देश में आज भी युवाओं में जोश पैदा कर देता है। जनवरी 2005 में, अजीत डोभाल पाकिस्तान के लाहौर में रहते थे। सात साल तक एक मुसलमान के रूप में रहे थे । देश पाकिस्तान में अपने बिताये हुए वर्षों के दौरान, अजीत डोभाल ने मस्जिदों में जाने वाले स्थानीय लोगों से मित्रता की और मुख्यतः मुस्लिम आबादी के बीच रहे थे। अजीत डोभाल उन तीन वार्ताकारों (negotiators) में से एक थे जिन्होंने साल 1999 में कंधार में आईसी-814 के अपहर्ताओं से यात्रियों की रिहाई के लिए बातचीत किया था। विशिष्ट रूप से, अजीत डोभाल को 1971 से 1999 तक इंडियन एयरलाइंस के सभी 15 अपहृत विमानों की समाप्ति में शामिल होने का अनुभव भी है। इंटेलिजेंस ब्यूरो मुख्यालय में, अजीत डोभाल ने एक दशक से अधिक के लिए आई.बी के संचालन (operations) विंग का नेतृत्व किया और मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे थे, साथ ही साथ इंटेलिजेंस टास्क फोर्स ऑन इंटेलिजेंस (JTFI) के अध्यक्ष रहे थे।
आतंकवाद निरोधी कार्यों में Ajit dobhal का योगदान
अजीत डोभाल ने सिक्किम के भारत के साथ विलय (merging) के लिए खुफिया भूमिका भी निभाई थी। आतंकवाद निरोधी कार्यों में संक्षिप्त अवधि के लिए अजीत डोभाल को भारत के तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन के अधीन प्रशिक्षित किया गया था। अजीत डोभाल इंडियन एयरलाइंस आईसी-814 के यात्रियों की रिहाई के लिए कंधार भेजे गए दल का भी हिस्सा थे। अजीत डोभाल ने खुफ़िया ब्यूरो के अतिरिक्त निदेशक और विशेष निदेशक (additional director and special director) के रूप में भी कार्य किया था और बाद में अजीत डोभाल को इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रवचन में सक्रिय रूप से हमेशा शामिल रहे हैं।
जनवरी 2005 में, अजीत डोभाल निदेशक, इंटेलिजेंस ब्यूरो के रूप में सेवानिवृत्त (retirement) हुए थे। दिसंबर 2009 में, अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन के संस्थापक बने थे। अजीत डोभाल भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रवचन में सक्रिय रूप से हमेशा शामिल रहे हैं। अजीत डोभाल ने कई प्रमुख अखबारों और पत्रिकाओं के लिए संपादकीय अंश लिखें हैं। अजीत डोभाल ने कई प्रसिद्ध सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों तथा भारत और विदेशों में सुरक्षा थिंक–टैंक (Think-Tanks) में भारत की सुरक्षा चुनौतियों और विदेश नीति के उद्देश्यों पर व्याख्यान भी दिया है। हाल के वर्षों में, उन्होंने IISS, लंदन, कैपिटल हिल, वाशिंगटन डीसी, ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबॉर्न, नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली और लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में रणनीतिक मुद्दों पर अतिथि व्याख्यान दिए थे। अजीत डोभाल ने दुनिया की प्रमुख स्थापित और उभरती शक्तियों के बीच सहयोग की निरंतर बढ़ती आवश्यकता का हवाला देते हुए वैश्विक आयोजनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बात किया है।
30 मई 2014, अजीत डोभाल भारत के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त हुए थे। जून 2014 में, अजीत डोभाल ने उन 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी हुई थीं। अजीत डोभाल ने एक शीर्ष गुप्त मिशन के तहत 25 जून 2014 को इराक के लिए उड़ान भरी और जमीन पर स्थिति को समझने के लिए और इराकी सरकार में उच्च-स्तरीय संपर्क बनाए थे। 5 जुलाई 2014, ISIL आतंकवादियों ने नर्सों को एरबिल शहर में कुर्द (Kurdish) अधिकारियों को सौंप दिया और भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से व्यवस्थित एयर इंडिया विमान उन्हें कोच्चि में वापस घर ले आया गया था।
18 सितंबर 2016 को चार भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने उरी सेना बेस (Uri Army Base) पर हमला किया था जिसमें 19 जवानों की शहीदी हुई थी। 29 सितंबर 2016 को, भारत ने घोषणा की कि उसने पाकिस्तानी प्रशासित कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी लॉन्च पैड के खिलाफ “सर्जिकल स्ट्राइक” (Surgical Strike)किया, जिसका नेतृत्व अजित डोभाल ने प्रधानमंत्री और आर्मी प्रमुख के साथ मिल कर किया था। इस सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय आज भी अजीत डोभाल को दिया जाता है। 27 फरवरी 2019 में भारत ने एक स्ट्राइक और किया जो की एयर स्ट्राइक थी और उसका श्रेय भी अजीत डोभाल जी को दिया जाता है। इस एयर स्ट्राइक के दौरान भारत का एक पायलट पाकिस्तान में अपने प्लेन के साथ दुर्घटना में पाकिस्तान की सेना के गिरफ्त में ले लिया गया था। लेकिन अजीत डोभाल ने पाकिस्तान से क़ानूनी करवाही और बातचीत कर उस पायलट को भी भारत वापस ले आये थे। 3 जून 2019, अजीत डोभाल को 5 वर्षों के लिए एन.एस.ए के रूप में फिर से नियुक्त किया गया और उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रैंक दिया गया।
Ajit dobhal की उपलब्धियाँ
अजीत डोभाल की उपलब्धियाँ उनके तेज़ दिमाग के आगे बहुत छोटी लगती है। अजीत डोभाल ने अपना जीवनकाल देश की सुरक्षा में ही बिताया है। अब तक की अजीत डोभाल की उत्कृष्ट सेवा में उन के पास कई शानदार उपलब्धियाँ हैं।
अजित कुमार डोभाल की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ:
- अजीत डोभाल मेधावी सेवा के लिए पुलिस पदक प्राप्त करने वाले सबसे युवा पुलिस अधिकारी थे।
- अजीत डोभाल को पुलिस में छह साल बीतने के बाद ही पुरस्कार दिया गया था।
- अजीत डोभाल को राष्ट्रपति के पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया।
- 1988 में, अजीत डोभाल को सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों में से एक कीर्ति चक्र प्रदान किया गया था, जो पहले सैन्य सम्मान के रूप में दिए गए पदक प्राप्त करने वाले पहले पुलिस अधिकारी बन गए थे।
- दिसंबर 2017 में, आगरा विश्वविद्यालय और मई 2018 में कुमाऊँ विश्वविद्यालय से विज्ञान और साहित्य में रणनीतिक और सुरक्षा मामलों के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए अजीत डोभाल को डॉक्टरेट की मानक उपाधि से सम्मानित किया गया।
- अजीत डोभाल को नवंबर 2018 में, एमिटी यूनिवर्सिटी द्वारा दर्शन शास्त्र में डॉक्टरेट की मानक उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
अजीत डोभाल का वैवाहिक जीवन
साल 1972 में, अजीत सिंह डोभाल ने अरुनी (अनु) डोभाल से विवाह कर लिया था। अजीत डोभाल और अनु डोभाल के दो बेटे हैं, जिनके नाम शौर्य डोभाल जो की एक राजनयिक (diplomat) है और दूसरे बेटे का नाम विवेक डोभाल है, जो की अधिकृत वित्तीय विश्लेषक (chartered financial analyst) है।
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