दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान
दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान दोहा : * तदपि जाइ तुम्ह करहु अब जथा बंस ब्यवहारु। बूझि बिप्र कुलबृद्ध गुर बेद बिदित आचारु॥286॥ भावार्थ:-तथापि तुम जाकर अपने कुल का जैसा व्यवहार हो, ब्राह्मणों, कुल के बूढ़ों और गुरुओं से पूछकर और वेदों में वर्णित जैसा आचार हो वैसा … Continue reading दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान
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