Thursday, April 25, 2024
Homeधार्मिक कहानियाँॐ का महत्व ॐध्वनि के लाभ Eshwar Satya Hai

ॐ का महत्व ॐध्वनि के लाभ Eshwar Satya Hai

ॐ का महत्व ॐध्वनि के लाभ – हिन्दु धर्म का एक ऐसी प्राचीन शक्ति जिसमे पूरे ब्रह्माण्ड का तथा जीवन का सार छुपा है। और मनुष्य के लिए एक अनुपम औषधी व प्राकृतिक तत्व भी निहित है। ओऽम् शब्द जो किसी विशेष भाषा का शब्द नही । यदि हम इसको शाब्दिक अर्थ मे सार्वभौमिक शब्दो कहे तो यह अनुपयुक्त नही होगा। इसका अर्थ है कि संसार मे जितने भी शब्द है चाहे वो किसी भी भाषा से क्यों न होवे सभी कंठ और होंठो के बीच से ही निकलते हुए शब्द है। यानी सभी शब्दो का सार ॐ ही है।

ॐ

इसीलिए ॐ शब्द संसार के समस्त शब्दों का प्रतीक है। वे सभी शब्दों की एक सुरूवात है। और उसी के माध्यम से उसके प्रासंगिक बिषम का ज्ञान होता है।  ॐ की गरिमा कोई नही जान सकता कि यह मनुष्य के लिए कितना उपकरण है।

विश्व मे चाहे किसी का कोई भी धर्म क्यों न हो ईश्वर से कोई भी अपरिचित नही।उस परमात्मा को सभी समझ सकते है और उसके होने का दावा कर सकते है। इसीलिए पूरा ब्रह्मांड इस सर्वव्यापी ब्रह्म का ही प्रतीक है उसी के उपासक है। इसीलिए इस  ॐ शब्द से ब्रह्मा का और पूरे ब्रह्माण्ड का आच्छादन हो जाता है। संस्कृत मे एक प्रसिद्ध सूक्ति है कि —

click here – Hanuman Chalisa pdf : हनुमान चालीसा अर्थ सहित (Lord Hanuman)

(ब्रह्म सत्य जगन् मिथ्या ) यानी यह संसार सब झूठा है इसका कोई अस्तित्व नही है , इसका कोई तूल नही है। सत्य तो वह ईश्वर ही है यानी वह ब्रह्म ही है जिसने इस समस्त ब्रह्मांड को रचा है।  इस ॐ शब्द मे सब कुछ सम्मलित हो जाता है। यह ब्रह्म अजर है, और अमर भी। यानी यह सत्य है और सत्य ही रहेगा। बाकी तो सभी मिथ्या है,अपवाद है,झूठ है,  यह हमेशा एक समान ही रहता है। यह कभी परिवर्तन नही करता यह तो अपरिवर्तन शील है। यह तो शाश्वत है। अविनाशी है। जो कभी भी नष्ट न हुआ है,और न कभी होगा। बाकी चाहे यह पृथ्वी हो या जड , चेतन,  जन्म ,जीवन कोई भी हो उसे एक दिन समाप्त  होना ही है।

Overview

Article Name ॐ का महत्व ॐध्वनि के लाभ Eshwar Satya Hai
ॐ का महत्व ॐध्वनि के लाभ Eshwar Satya Hai Click here
Category Badisoch
Facebook follow-us-on-facebook-e1684427606882.jpeg
Whatsapp badisoch whatsapp
Telegram unknown.jpg
Official Website Click here

 

diligence यानि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है । जानिए कैसे ?

सफलता के मूल मंत्र जानिए । success mantra
success definition सफलता की परिभाषा क्या है ?

सार रूप मे अगर परिभाषित किया जाए तो यह सब मृगतृष्णा है। मोह माया है। भूल भुलय्या है।  तथा पाप का ही मार्ग है। और जो भी इसमे उलझा है उसने अपने जीवन का नाश किया है। इसके धोके मे कभी नही नही आना चाहिए क्योंकि यहां चीजे जितनी लुभावनी होती है , जितनी आकर्षित होती है मनुष्य उसमे घिर जाता है। वह अपना उदेश्य भूल जाता है। यानी वह बाद मे दुख ही पाता है।

ॐ शब्द का जाप

मनुष्य को अगर इसी धरती पर रहकर अपना उद्धार करना है तो उसे ॐ ध्वनी का जाप करना होगा क्योंकि यही सत्य है। इस जाप को इतनी श्रद्धा और ध्यान पूर्वक, भावपूर्ण ढंग से करना चाहिए कि हमारा कनेक्शन हमारे मन के तार सीधे उस परब्रह्म से जुड़े जाए और मोक्ष को प्राप्त सो जाए। एक यही मार्ग है जो मुक्ती के द्वार खुलवा सकता है। इसके जप मात्र से मनुष्य को शान्ति प्रदान होती है। और वह अपने को उस ईश्वर का एक अंश समझता है कि जिसने उसे इस भवसागर मे मुक्ती प्राप्त करने हेतु भेजा है।

ॐ जाप करने का नियम

ॐ का जाप करना कोई आशान बात नही है क्योंकि यह सब अपने आप मे ब्रह्म है इसीलिए इसको करने के लिए सबसे पहले मनु की पवित्रता होनी आवश्यक है।  और शान्त म हो करके आराम की मुद्रा मे  बैठकर फिर अपनी आंख बन्द करे या अधखुली भी रख सकते हो। और प्रार्थना करने के लिए अपने शरीर मे किसी प्रकार का दबाव नही होना चाहिए यानी श्री को हल्का छोड देना है। और फिर अपने ईष्ट देव का ध्यान करते हुए ॐ का उच्चारण करना है।  और उच्चारण करते समय यह सोचो किस यह ब्रह्म ही है और वास्तविक सत्य है जिसकी हम उपासना कर रहे है। ॐ शब्द का तीन बार उच्चारण करना है इसका अर्थ यही है कि तुम अपने मन ,मस्तिष्क मे स्थापित करलो कि वास्तव यही एक सत्य ही है। बाकी सब कुछ नश्वर है।

Read Also Instagram Pro APK (MOD) 2022 Latest version

ॐ शब्द की महिमा

विश्व के समस्त विचार केवल इस ॐ शब्द मे ही समाए हुए है। अतः शान्ति और प्रफुल्लित मन से निवृत्त होकर  का उच्चारण करते हुए अपने कारण शरीर मे यह विचार दृढ करो कि केवल एक ही परम सत्य है और वह सत्य मै ही हूं क्योंकि जो खुद को जान लेता है वही उस ब्रह्म उस ॐ के महत्व को जान सकता है। इस ॐ शब्द मे ही विश्वास समाया हुआ है इस सत्य से जिसका ॐ प्रतीक है। मै भी अलग नही हूं। मै भी पूरे विश्व मे समाया हुआ हूँ। क्योंकि मै भी वही परम सत्य हूं ॐ ॐ ॐ

यह ॐ महान और पवित्र है इसकी महानता का बखान नही किया जा सकता। और वह पवित्र मै ही हूं। वह सभी शक्तियां मै ही हूं। मै परम आनन्द भी हूं। मै हृदय की शान्ति भी हूं। मै ही वो दिव्य ज्योति  (प्रकाश ) हूं।  इन सभी विचारों को ध्यान पूर्वक  एकाग्र मन से, एकाग्र चित से, भाव युक्त  होकर बार-बार  दोहराने से मन का अहम (घमणड) दूर होता है। और वह शुद्ध ब्रह्म भाव मे विलीन होने लगता है। यही आत्म साक्षात्कार की अवस्था है। जो हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

सात्विक भाव

हमे हमेशा अपने मन मे सात्विक विचारों का समावेश करना होगा।  तभी वहां जा करके मन की सारी चंचलता स्वयं ही रूक जायेगी और यहां ही तुम्हारे मन को सच्ची शान्ति प्रदान होगी। यहां मन , बुद्धि, नही रहेगा। यहां बुद्धि,  बुद्धि नही रहेगी , और इस  अवस्था मे तुम नही रहोगे जी के सभी अहम मिट कर सब कुछ राम की असीमता मे खो जायेगा।  यही वास्तविक मोक्ष है , अन्यथा दूसरा कोई मोक्ष नही है।यह सफलता का भी सार है क्योंकि इस सत्य को अपनाने के बाद मनुष्य के अन्दर अथाह ज्ञान का सार निहित हो जाता है और वह अपने आप को विश्व व्यापी समझता है। यानी विश्व मे उसकी पहचान बनती है।

हर जानकारी अपनी भाषा हिंदी में सरल शब्दों में प्राप्त करने के लिए  हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे जहाँ आपको सही बात पूरी जानकारी के साथ प्रदान की जाती है । हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहाँ क्लिक करें

parmender yadav
parmender yadavhttps://badisoch.in
I am simple and honest person
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular