How to Apply Bihar Land Mutation Dakhil Kharij Jamabandi Online in Hindi

How to Apply Bihar Land Mutation: If you need to apply for a Bihar land mutation, it’s important to understand the process and requirements involved. First, you will need to gather all relevant documents, such as an application form, land revenue bills, and proof of ownership. You will then need to submit these documents to the Revenue Department in your district, along with any applicable fees. It’s important to note that the process may vary depending on the specific details of your case, and it may be helpful to consult with a real estate lawyer or other professional to ensure that your application is properly prepared and submitted. With the right guidance and a thorough understanding of the process, applying for a Bihar land mutation can be a straightforward and manageable process.

नमस्कार दोस्तों अगर आप भी बिहार के निवासी हैं और आपने बिहार में किसी भी प्रकार की जमीन की रजिस्ट्री करवाई है तो उसका रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट (Dakhil Kharij Online) करवाना अनिवार्य है। यदि आप बिहार ढीखल खरीज ऑनलाइन आवेदन 2023 नहीं करवाते हैं तो उस स्थिति में आपने जो जमीन की रजिस्ट्री करायी है वह जमीन आपके नाम नहीं की जाती है। ऐसे में आज के लेख के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि फाइलिंग का रिजेक्शन क्या है? आप दखिल ख़रीज़ ऑनलाइन अप्लाई बिहार के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे कर सकते हैं?

ढिखल ख़रीज़ बिहार ऑनलाइन फॉर्म अप्लाई करने के बाद आपको क्या करना है? और आपका लैंड म्यूटेशन ऑनलाइन बिहार 2023 कैसे पूरा हुआ? इस पोस्ट के माध्यम से आपको सभी जानकारी स्टेप बाय स्टेप बताई जाएगी। अगर आपको पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें और अगर आपके मन में कोई सवाल है तो नीचे कमेंट सेक्शन में कमेंट करके हमें जरूर बताएं।

Table of Contents

How to Apply Bihar Land Mutation

The process of applying for Bihar Land Mutation can seem overwhelming, but it’s actually pretty straightforward. To begin, you’ll need to obtain an application form from the local land records office or download it from the official website. Once you have the form, fill it out completely and attach all necessary documents, including proof of ownership, identification, and any other relevant papers. Submit the completed application along with the required fee, and wait for the authorities to process it. It’s important to note that the process may take several weeks, but the end result is worth the wait: a new record of ownership that reflects your updated information.

अब अगर आप सोच रहे हैं कि म्यूटेशन कैसे किया जाता है? तो आपको बता दें कि ऑनलाइन म्यूटेशन बिहार की प्रक्रिया अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है। नई जमीन खरीदते समय इसकी जरूरत होती है। अगर आपने कोई नई जमीन खरीदी है तो आप जरूर चाहेंगे कि वह जमीन आपके नाम दर्ज हो, लेकिन इसके लिए आपको कुछ प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। इसी प्रक्रिया में म्यूटेशन आता है।

इन सभी प्रक्रियाओं से उस जमीन को कानूनी तौर पर आपका बनाने में मदद मिलेगी। अगर आप भी सोच रहे हैं कि रजिस्ट्री के बाद क्या होता है? तो हम आपको बता दें कि अपने घर का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद आखिर में आपको फाइलिंग रिजेक्ट करानी होगी। इसीलिए हमने आपको इस पोस्ट में बिहार में फाइलिंग के रिजेक्शन और ऑनलाइन म्यूटेशन कैसे चेक करें से जुड़ी जानकारी बताई है।

How to Apply Bihar Land Mutation

How to Apply Bihar Land Mutation Overview

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क्या होता है दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन?

जमीन रजिस्ट्री कराने के बाद दाखिल खारिज (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) करने बहुत हि जरूरी है दाखिल खारिज से हि पता चलता है कि प्रॉपर्टी एक व्यक्ति कि नाम से दूसरे व्यक्ति कि नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया है दाखिल खारिज होने कि बाद ही प्रॉपर्टी टैक्स रिकॉर्ड में नया खरीदने वाले व्यक्ति का नाम अपडेट होता है जो आपके मालिकाना हक़ का सबूत होता है

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दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन आवेदन?

जब भी आप कोई जमीन खरीदते हैं तो रजिस्ट्री होने के बाद उसे रिजेक्ट करवाना अनिवार्य होता है, अगर आप दाखिल जवाब रिजेक्ट करवाते हैं तो वह जमीन सरकारी रिकॉर्ड में आपके नाम से जमाबंदी बन जाती है और आप उस जमीन का टैक्स सरकार को देते हैं अप का नाम। दे सकते हैं प्रवेश अस्वीकृत करवाने के लिए सबसे पहले आपको बिहार भूमि की आधिकारिक वेबसाइट http://biharbhumi.bihar.gov.in/Biharbhumi पर जाना होगा

इस साइट पर जाने के बाद यहां एक विकल्प मिलेगा “ऑनलाइन फाइलिंग डिसमिसल लागू करें” जिसे क्लिक करना होगा जैसे ही आप इस पर क्लिक करेंगे तो एक नई वेबसाइट खुलेगी जो बिहार लैंड फाइलिंग डिसमिसल की होगी।

STEP-1 – दाखिल खारिज रजिस्ट्रेशन करें

इस वेबसाइट पर आने के बाद यहां आपसे ईमेल आईडी और पासवर्ड मांगा जाता है, अगर आपका अकाउंट नहीं है तो आपको पहले रजिस्ट्रेशन करना होगा, जिसके लिए नीचे रजिस्टर का बटन मिल जाएगा।

जब आप Register बटन पर क्लिक करते हैं तो एक नया फॉर्म खुल जाता है जिसमें आपका नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और पासवर्ड मांगा जाता है, इसके अलावा आपको नीचे कैप्चा कोड देना होता है और कैप्चा कोड देकर आपको अपना फॉर्म भरना होता है। एड्रेस भी और उसके बाद Register Now पर क्लिक करने के बाद आपको OTP देकर वेरिफाई करना होगा और आपका अकाउंट बन जाएगा।

जब आपका रजिस्ट्रेशन हो जाए और आपकी आईडी बन जाए तो लॉगइन पेज पर आने के बाद आपको ईमेल आईडी, जो ईमेल आईडी आपने रजिस्टर करते समय दी थी और जो पासवर्ड आप रजिस्टर करते समय रखते हैं वही पासवर्ड देना है पासवर्ड में दिया गया है। और आपको लॉगिन करना है जब आप लॉग इन करते हैं तो आपकी सारी डिटेल्स शो हो जाती है।

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दाखिल खारिज नया आवेदन करें

नीचे में सबसे पहले जिले का चयन किया गया है जिस जिले में जमीन होगी उस जिले का चुनाव चल रहा है उसके बाद जोन चल रहा है अब आपको आवेदन अस्वीकृत के बटन पर क्लिक करना है

जिसके बाद एक फॉर्म ओपन होता है जो 6 अलग-अलग टैब में होता है, जिसमें पहले टैब में आवेदक का विवरण देना होता है, जिसका अर्थ है कि आवेदक को अपना नाम, अपने अभिभावक का नाम, फाइलिंग का प्रकार अस्वीकृत जैसी सभी जानकारी देनी होती है। ईमेल आईडी मोबाइल नंबर पता आदि की जानकारी देनी होगी

  • दूसरे टैब में दस्तावेजों का ब्योरा देना होता है, यानी जमीन की सारी जानकारी देनी होती है।
  • तीसरे प्रकार में लेफ्ट डिटेल्स देनी होती है, यानी वह सारी जानकारी देनी होती है, जिसके नाम पर फाइलिंग रिजेक्ट की जानी है।
  • चौथे प्रकार में वेतन का विवरण देना होता है अर्थात जो व्यक्ति जमीन बेच रहा है या जिसके नाम पर जमाबंदी नए व्यक्ति के नाम पर होगी वह अपने नाम दे रहा है उसके बाद प्लॉट का विवरण देना होगा अगले टैब में दिया गया है, खाता खेसरा खतियान कितना है और सबसे लास्ट में सभी जानकारी को डॉक्यूमेंट मतलब प्रूफ पीडीएफ में अपलोड करना होता है।
  • दस्तावेजों को अपलोड करने और आवेदन जमा करने के बाद आपको एक केस आईडी मिलेगी, जिसकी मदद से आप अपनी अस्वीकृति की स्थिति की जांच कर सकते हैं।

फॉर्म भरने के बाद भरे हुए फॉर्म, ऑनलाइन फाइलिंग रिजेक्टेड रसीद, दस्तावेज की कॉपी, पुराने दस्तावेज की कॉपी नामांतरण कार्यालय में जमा करनी होगी। अगर आप जमीन मालिक की मृत्यु के बाद वारिस हैं तो जरूरी दस्तावेजों के साथ वसीयत पत्र देकर भी बनवा सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिया गया वीडियो देखें। अगर आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं

दाखिल खारिज का स्टेटस चेक करें

अस्वीकृत आवेदन की स्थिति की जांच करने के लिए आपको फिर से बिहार भूमि की आधिकारिक वेबसाइट पर आना होगा, साइड में आने के बाद आपको अस्वीकृत आवेदन की गति जांचने का विकल्प मिलेगा, उस पर क्लिक करें।

जैसे ही आप इस पर क्लिक करते हैं तो एक नया पेज खुल जाता है जिसे नामांतरण आवेदन की स्थिति कहा जाता है, यहां आपने अपना जिला चुना है, जिले में जमीन है और इसके लिए आवेदन किया है।

उसके बाद आपने जिले का चयन किया है और जोन का चयन करने के बाद आपको वित्तीय वर्ष का चयन करना है, अर्थात आपको उस वर्ष का चयन करना है जिसमें आपने आवेदन किया है और नीचे आपको कुछ विकल्पों में से खोज करने का विकल्प मिलेगा जो इस प्रकार हैं अनुसरण करता है।

  • केस नंबर द्वारा खोजें
  • विलेख संख्या द्वारा खोजें

ऊपर दिए गए दोनों में से किसी एक को चुनकर आपको अधिक जानकारी देनी होगी और फिर नीचे दिए गए सर्च बटन पर क्लिक करना होगा, जैसे ही आप इस पर क्लिक करते हैं, आपको जो स्टेटस बताया जाता है वह यह है कि आपकी फाइलिंग कितनी दूर तक रिजेक्ट हो गई है अभी और कहां अटका हुआ है, यहां से आपको पता चलेगा कि आपके अस्वीकृत आवेदन की स्थिति क्या होगी।

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दाखिल खारिज अस्वीकृति का कारण

आवेदन के समय संलग्न किये गए दस्तावेजों का संदिग्ध या अपठनीय होना ।

  • आवेदन भरते समय ये आश्वस्त हो ले आपने मूल प्रति से ही इसकी छाया प्रति अपलोड की है।
  • हर दस्तावेज एकदम सुस्पष्ट और पठनीय हो ।
  • आवश्यकता अनुसार साक्ष्य के प्रमाणित अनुवाद को भी संलग्न करें।
  • अपलोड करने से पहले एक बार पुनः अवलोकन कर ले।

दर केवाला का संलग्न नहीं होना।

  • विक्रेता से उसके दर केवाला की मांग करें। अपने केवाला के साथ दर केवाला भी अवश्य ही संलग्न करे। भूमि की बिक्री बिना दाखिल-खारिज कराये उसका क्रय कर देने से इसकी आवश्यकता होती है।
  • विक्रेता की रसीद अवश्य संलग्न करें ।
  • अस्वीकृति का कारण बँटवारा में आपसी सहमति नहीं होना।
  • बँटवारा के बस दो आधार हैं – आपसी सहमति एवं कोर्ट के द्वारा बँटवारा।
  • आपसी सहमति से हुए बँटवारा का निबंधन करा लें।
  • बँटवारा के बाद ही दाखिल खारिज का आवेदन दे, तत्पश्चात भूमि का क्रय-विक्रय करे।
  • बँटवारा अगर पंचनामा के प्रक्रिया से की गयी है तो भी वह भी मान्य है।
  • खाता, खेसरा, रकबा के अलावा चौहद्दी का भी स्पष्ट उल्लेख करें।
  • जमीन बँटवारा के बाद किसी नए जमाबंदीदार से ही खरीदना श्रेयस्कर होगा।
  • अगर सहमति नहीं है तो कोर्ट से बँटवारा करवा लें, बिना बँटवारे की जमीन नहीं खरीदें ।

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मिल-जुमला खेसरा का होना ।

  • मिल-जुमला खेसरा का अर्थ है केवाला में प्रत्येक खेसरा का रकबा न लिखा होना परन्तु कुल रकबा का होना, केवाला में खेसरावार विवरण का नहीं होना।
  • निबंधन करते समय ये सुनिश्चित कर लें कि प्रत्येक खेसरा का सही रकबा और चौहद्दी खेसरावार लिखा गया है।
  • पुराने विक्रय पत्र में अगर मिल-जुमला खेसरा की त्रुटि हो तो अपने अंचल कार्यालय में साक्ष्य के साथ उपस्थित हों।
  • साक्ष्य के तौर पर अंचल अमीन का मापी प्रतिवेदन और अन्य कागजात जैसे नजरी नक्शा, ट्रेश मैप, चौहद्दीदार का अनापत्ति पत्र, खतियान जिससे किसी खेसरा के रकबा की पुष्टि होती हो, तो उसको प्रस्तुत करें।

विक्रेता की जमाबंदी का कायम नहीं होना।

  • विक्रेता के जमाबंदी की ऑनलाइन प्रविष्टि देख लें।
  • बंटवारे से प्राप्त हिस्से की भी जमाबंदी कायम हो जाये तब भूमि का क्रय करें।
  • विक्रेता के अन्य हिस्सेदारों से भी क्रय से पहले संपर्क कर लें।
  • अद्यतन लगान रसीद की जांच करना और आवेदन के साथ संलग्न करना।
  • परिमार्जन पोर्टल का उपयोग कर विक्रेता को अपनी जमाबंदी की प्रविष्टि में
  • सुधार के लिए आग्रह करना।

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विक्रेता एवं जमाबंदी रैयत के बीच संबंध का नहीं होना।

  • विक्रेता और जमाबंदी रैयत का एक होना श्रेयस्कर है। विक्रेता और जमाबंदी रैयत में सम्बन्ध स्थापित करने के लिए वंशावली उपलब्ध करायें।
  • ये जानकारी ले लें कि विक्रेता ने भूमि किस प्रक्रिया और किन लोगों से प्राप्त की हैं।
  • जमाबंदी रैयत के नाम का मिलान विक्रेता से अवश्य कर लें।
  • जमाबंदी रैयत की अद्यतन रसीद भी आवेदन के साथ संलग्न करें।

जमीन का विवादित होना।

  • क्रेता जमीन हमेशा उनसे खरीदने का प्रयास करें जिनके नाम से जमाबंदी कायम हो।
  • जमीन का विवरण, नक्शा, विक्रेता के नाम, पता का मिलान एवं सत्यता की पुष्टि
  • ऑनलाइन http://biharbhumi.bihar.gov.in से कर लें।
  • निबंधित दस्तावेजों की जांच निबंधन कार्यालय के वेबसाइट http://bhumijankari.bihar.gov.in/ पर की जा सकती है।
  • दलालों से दूर रहें।
  • गैरमजरूआ आम,खास, कैसरेहिन्द, बकास्त, भूदान, बन्दोबस्ती, सैरात, बाजार, हाट, नदी, पईन, नहर, श्मशान, कब्रिस्तान, मठ, मन्दिर आदि की भूमि का भी क्रय विक्रय निषेध है।
  • खाता, खेसरा, रकबा के अलावा चौहद्दी का भी स्पष्ट मिलान कर लें।
  • बिना बँटवारे की जमीन नहीं खरीदें। बँटवारा के बाद नए जमाबंदीदार से ही जमीन खरीदना श्रेयस्कर होगा।
  • जमीन के निबंधन और लेन-देन से पहले यथासंभव चहारदीवारी निर्माण अथवा सीमाओं की स्थायी पहचान करवा लें।

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शांतिपूर्वक दखल-कब्जा का नहीं होना।

  • आवेदन करते समय भूमि पर आपका शांतिपूर्वक दखल कब्जा होना एक आवश्यक शर्त है।
  • विक्रेता से भूमि का क्रय करने से पहले भूमि विवाद का पता लगा लें।
  • आवेदन में दर्शायी भूमि का न्यायालय में विचाराधीन होना आवेदन की अस्वीकृति का कारण बन सकता है।
  • अपनी भूमि की सीमाओं का यथासंभव निर्धारण चहारदीवारी, स्तंभों या अन्य माध्यम से करें।

दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन के 33 फीसदी आवदेन रद और 15 फीसद लंबित

बिहार में कई साल से ऑनलाइन सिस्टम चालू है लेकिन दिए गए समय में 56 फीसदी लोगों का ही एडमिशन-रिजेक्ट हो रहा है. जबकि करीब 33 फीसदी आवेदन कर्मचारी या सीओ द्वारा खारिज कर दिए जाते हैं। साथ ही 15 फीसदी ऑनलाइन आवेदन लंबित रहते हैं, जिसमें चार फीसदी लोगों को 60 दिन बाद भी कार्यालय आना पड़ता है।

पटना जिले में प्रवेश-बर्खास्तगी के लिए सर्वाधिक आवेदन फुलवारीशरीफ अंचल में जमा होते हैं. सबसे ज्यादा मामले पटना सदर जोन में लंबित हैं. राजधानी के विस्तार जोन दानापुर, संपतचक, पुनपुन, फुलवारीशरीफ और बिहटा में समय से दाखिल और खारिज की जा रही जमीन आसान नहीं है. जिले में इस वर्ष जुलाई तक 3,97,282 लोगों ने निरस्तीकरण के लिए आवेदन किया है। इनमें से 1,27,366 आवेदन खारिज कर दिए गए। जिनमें से केवल 2,01,837 ऑनलाइन आवेदनों का समय पर निस्तारण किया गया है।

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अंचलवार दाखिल-खारिज की स्थिति

अंचल आवेदन रद लंबित निपटारा
पटना सदर 43940 15830 9261 18849
फुलवारीशरीफ 54157 18121 5146 30890
पुनपुन 20478 6484 2487 11507
संपतचक 27249 5278 3673 18298
बिहटा 30024 8816 5020 16188
बिक्रम 10229 3212 1308 5709
दानापुर 31464 9967 4204 17293
खुसरूपुर 7235 2541 1181 3513
मनेर 19470 6336 3551 9583
मसौढ़ी 16030 5550 3143 7337
नौबतपुर 20627 7456 3669 9502
पालीगंज 12324 3383 2435 6506
पंडारक 7663 4200 1053 2410
मोकामा 6636 2024 801 3793
फतुहा 16723 4679 2544 9500
दुल्हिनबाजार 7754 3102 1681 2971
धनरूआ 11964 3352 2138 6474
दनियावां 4879 1968 570 2341
अथमलगोला 5360 2851 370 2139
बेलछी 2462 744 688 1030
बख्तियारपुर 13827 4140 1370 8317
बाढ़ 14425 5640 1557 7228
घोसवरी 2362 1674 229 459

21 दिनों के बाद भी लंबित

जिले में 58,079 आवेदन अंचल कार्यालयों में लंबित हैं। इनमें से 60 दिनों से अधिक अवधि का मामला करीब 11,459 है। जिले में 35,311 मामले 21 दिनों के बाद भी लंबित हैं। पटना जिले में सबसे अधिक फुलवारीशरीफ अंचल में 54,157 आवेदन दाखिल-खारिज जमा हुए हैं जिनमें 18 हजार से अधिक रद कर दिए गए।

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पटना सदर अंचल में सबसे अधिक मामले हैं लंबित

पटना सदर अंचल में 43,940 आवेदन आए, जिनमें से 15830 रद कर दिए गए। लंबित आवेदनों में पटना सदर अंचल टाप पर है। यहां 9,261 आवेदन लंबित हैं। सदर अंचल में 60 फीसद लोग दाखिल-खारिज से वंचित हैं।

प्लॉट के नक्शे के साथ दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन पर काम शुरू

नए म्यूटेशन में प्लॉट के नक्शे के साथ खाता-खेसरा व रकबा की फोटो भी होगी। जिसके लिए राज्य में म्यूटेशन को लेकर नई व्यवस्था की जा रही है। इस नई व्यवस्था में भूमि दस्तावेज में नाम परिवर्तन के साथ-साथ भूखंड का स्थानिक मानचित्र न केवल फोटो में रहेगा बल्कि खाता, खेसरा और रकबा भी फोटो में रहेगा। इससे एक छोटे से टुकड़े की भी कितनी ही बार खरीद-बिक्री हो जाए, सीमा विवाद नहीं होगा।

प्रदेश में स्थानिक उत्परिवर्तन का प्रयोग शुरू हुआ। इस प्रयोग के लिए सरकार ने शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्बा प्रखंड के गांव का चयन किया है. प्रयोग सफल रहा तो जमीन में सीमा विवाद नहीं होगा। नामांतरण (फाइल/अस्वीकृत) होने की स्थिति में दस्तावेज में नाम परिवर्तन के साथ खाते, खेसरा और रकबा के साथ प्लॉट का नक्शा भी होगा।

आईआईटी रुड़की की टीम को विभाग की ओर से उस गांव का नक्शा और जमीन के मालिकाना हक का पूरा ब्योरा दिया जा रहा है. टीम को 15 दिन का समय दिया गया है। टीम उस गांव में प्रयोग करेगी और सरकार को बताएगी कि राज्य के अन्य गांवों में इसे कैसे लागू किया जाएगा। दरअसल सरकार इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए आईआईटी रुड़की की मदद ले रही है फिलहाल फाइलिंग में कागज पर नए खरीदार का नाम खाता, खेसरा और रकबा रहता है। बदलाव यह होगा कि कागजों पर नाम बदलने के साथ ही प्लॉट का स्थानिक नक्शा और फोटो भी होगा। फोटो में खाता, खेसरा और रकबा भी होगा। इससे चौहद्दी का विवाद समाप्त हो जाएगा।

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दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन के साथ नक्शा देने वाला बिहार देश का पहला

नक्शा खारिज होने के साथ नक्शा देने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन जाएगा। शुक्रवार को पटना स्थित सर्वे कार्यालय में आयोजित कार्यशाला में आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञ ने बताया कि इस प्रक्रिया से कम जनशक्ति और न्यूनतम समय में फाइलिंग खारिज हो जाएगी. दाखिल-खारिज की मौजूदा स्थिति यह है कि जमीन की खरीद के बाद नए खरीदार का नाम, खाता, खेसरा और रकबा ही दर्ज होता है। रजिस्ट्री के साथ ही ऑनलाइन दाखिले-बर्खास्तगी के साथ ही नक्शा भी अपडेट किया जाएगा।

राजस्व अधिकारी को दिया जाएगा दाखिल खारिज कार्य : विवेक

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश की तर्ज पर राज्य में दाखिल खारिजियों का कार्य अंचल अधिकारी से राजस्व अधिकारी को सौंपने पर विचार किया जायेगा. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में राजस्व और भूमि सुधार के प्रावधानों को बिहार में अपनाने पर विचार किया जाना चाहिए।

श्री सिंह मंगलवार को स्थानीय होटल में विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘जमीनी बातें’ कार्यशाला के समापन समारोह में बोल रहे थे. समापन सत्र में उन बिन्दुओं को चिन्हित किया गया जिनमें मध्य प्रदेश सरकार ने अच्छा काम किया है और जिससे बिहार को सीख लेनी चाहिए। इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों ने उन बिंदुओं को रेखांकित किया, जिसमें उन्हें बिहार सरकार से सीख लेने की जरूरत है।

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जमीनी बातें सीजन-2 का आयोजन नई दिल्ली में

अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले बिहारियों को विभाग द्वारा शुरू की गई नई ऑनलाइन सेवाओं की जानकारी देने और बिहार में चल रहे सर्वे कार्य में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए जमीन बातें सीजन-2 का आयोजन किया गया. नई दिल्ली में होगा।

यह आयोजन 30 व 31 अक्टूबर को द्वारका स्थित नवनिर्मित बिहार सदन में होगा। कहा कि जिस तरह मध्य प्रदेश में तहसीलदार और नायब तहसीलदार राजस्व के लिए काम करते हैं, उसी तरह बिहार में अंचल अधिकारी और राजस्व अधिकारी को एक-दूसरे का पूरक बनाया जाएगा. विभाग इस पर विचार करेगा कि फाइलिंग को निरस्त करने का कार्य अंचल अधिकारी से राजस्व अधिकारी को दिया जाए। वर्तमान में बिहार में राजस्व अधिकारियों को जाति, निवास और आय प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया है।

कार्यशाला में आईआईटी रुड़की की टीम द्वारा विशेष म्यूटेशन पर प्रस्तुति दी गई। कार्यशाला को दीपक शरण, वरिष्ठ सलाहकार, नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च, टीपी मलिक, निदेशक, सर्वे ऑफिस ऑफ इंडिया, देहरादून द्वारा भी प्रस्तुत किया गया था।

पोर्टल और एप बनाने की जरूरत

राजस्व विभाग ने भी मध्य प्रदेश के आरसीएमएस पोर्टल की तर्ज पर अपना पोर्टल और एप बनाने की जरूरत महसूस की। यह निष्कर्ष निकाला गया कि बिहार में राजस्व संबंधी नियम-कायदे मुख्य रूप से ब्रिटिश काल के बीटी अधिनियम पर आधारित हैं। हालांकि इसमें कई संशोधन हुए हैं, लेकिन फिर भी इसके कई क्लॉज ईस्ट इंडिया कंपनी की जरूरतों के हिसाब से लिखे गए हैं। आज की आवश्यकता को देखते हुए बिहार में एक मास्टर एक्ट बनाने की आवश्यकता है जिसमें राजस्व संबंधी सभी नियमों और उपनियमों को एक स्थान पर संकलित किया जाए।

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मध्य प्रदेश की तर्ज पर अलग कैडर पर भी हो रहा है विचार

विवेक कुमार सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में ग्राम पटेल/कोटवार से लेकर उपायुक्त भू-अभिलेख तक अधिकारियों का कैडर कैसे स्थापित किया जाए, इस पर भी विचार किया जाएगा. वर्तमान में बिहार में निदेशक भू-अभिलेख के स्तर से नीचे कोई सुसंगठित संवर्ग नहीं है। सर्वेक्षण के समय बन्दोबस्त अधिकारी, सहायक बन्दोबस्त अधिकारी आदि की पदस्थापना अवश्य की जाती है। सामान्य दिनों में भू-अभिलेखों को लगातार अद्यतन करने की कोई समानांतर व्यवस्था नहीं है।

विभाग इस बात पर भी विचार करेगा कि मध्य प्रदेश की ब्लॉक चेन की बिहार में कोई उपयोगिता है या नहीं। वहां कोटेदार मध्य प्रदेश पुलिस नियमावली से निर्देशित होता है लेकिन राजस्व विभाग के नियंत्रण में काम करता है। बिहार में चौकीदारों को कुछ साल पहले ही राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर किया गया है। वर्तमान में बिहार में राजस्व कार्यकर्ता के नीचे राजस्व कार्यकर्ता का कोई संवर्ग नहीं है जो मध्य प्रदेश के पटवारी के समकक्ष हो।

Apply Bihar Land Mutation FAQ’S

म्यूटेशन कितने दिन में होता है?

ऑनलाइन म्यूटेशन के लिए निर्धारित समय सीमा 35 दिन है, जबकि अगर किसी आवेदन पर आपत्ति पड़ जाती है तो उसे 75 दिनों में निष्पादित करना होता है। दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) की मौजूदा ऑनलाइन प्रक्रिया के बावजूद समय सीमा का पालन नहीं किया जा रहा है। इसको देखते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक नया वेब एप्लीकेशन बनाया है।

म्यूटेशन कराने में कितना पैसा लगता है?

प्रॉपर्टी म्यूटेशन की फीस आमतौर पर 25 रुपये से 100 रुपये के बीच होती है!

बिहार में म्यूटेशन कितने दिन में होता है?

बिहार में संपत्ति के दाखिल-खारिज के लिए आवेदन खरीद की तारीख से एक महीने से तीन महीने के भीतर जमा किया जाना चाहिए।

बिहार में म्यूटेशन केस नंबर कैसे पता करें?

बिहार के नागरिक भूलेख बिहार (भूलेख बिहार ऑनलाइन) वेबसाइट पर भूमि के म्यूटेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालाँकि, म्यूटेशन केस नंबर बदल गए हैं और नागरिक बदले हुए म्यूटेशन केस नंबर को बिहारभूमि वेबसाइट पर एक्सेस कर सकते हैं।

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