Karwa Chauth – ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं।
करवा चौथ 2024 (Karwa Chauth)
यह त्योहार हर साल कार्तिक महीने के चौथे दिन मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 1 November 2024 दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। करवा चाैथ (Karwa Chauth) के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं। शाम को चांद को अर्घ्य देने के बाद एक छलनी से अपने पति को एक दीया के साथ देखती हैं। चांद को देखने के बाद ही अपना उपवास तोड़ती हैं। मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने और दर्शन के बाद ही यह व्रत पूरा होता है। ऐसे में इस दिन व्रती महिलाओं को चांद के निकलने का बेसब्री से इंतजार रहता है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं उपवास रखती हैं और रात को चांद निकलने का बाद अर्घ्य देकर, पूजा करके ही व्रत का पारण करती हैं! इसलिए करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्र उदय का बेसब्री के साथ इंतजार करती हैं! व्रत की तैयारियां जोरों-शोरों पर चल रही हैं। आमतौर पर ये व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। लेकिन कई जगह पर ये व्रत अविवाहित कन्याएं भी रखती हैं। ये व्रत निर्जला रखा जाता है यानी इस व्रत में अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। साथ ही इस व्रत से जुड़े कुछ जरूरी नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी माना जाता है।
करवा चौथ 2024 (Karwa Chauth) Details
Article Name | करवा चौथ 2024 (Karwa Chauth) |
Year | 2024 |
Category | Quotes |
Official Website | Click here |
तिथि और मुहूर्त करवा चौथ 2024 (Karwa Chauth)
करवा चौथ 2024 की तारीख | 1 November 2024 |
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चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 1 November 2024, 01:59 AM |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 1 November 2024, 03:08 AM |
करवा चौथ व्रत का समय | 04:27 AM से 09:30 PM |
करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त | 05:54 PM से 07:03 PM |
करवा चौथ 2024 चंद्रोदय का समय | 08:41 PM |
करवा चौथ व्रत के नियम
सोलह श्रृंगार- करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। इस दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें। मान्यता है कि ऐसा करने से चौथ माता प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
लाल रंग के कपड़े- इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है। जो महिलाएं पहली बार व्रत रख रही हैं उन्हें इस व्रत वाले दिन शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। लेकिन अगर किसी कारण शादी का जोड़ा नहीं पहन सकती हैं तो लाल रंग की कोई भी ड्रेस आप जरूर पहनें।करवा चौथ के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं, उन्हें शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। हालांकि लाल रंग की कोई अन्य ड्रेस भी पहनी जा सकती है।
बाया- जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करती हैं उनके मायके से ससुराल में बाया भेजा जाता है। बाया में कपड़े, मिठाइयां, मेवे और फल आदि होते हैं। शाम की पूजा से पहले बाया हर हाल में पहुँच जाना चाहिए।
व्रत पारण – इस व्रत में शाम में पूजा करने और कथा सुनने के बाद रात में चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। पूजा, चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद प्रसाद खाएं और अपने पति के हाथों से पानी पानी पीकर व्रत का पारण करें। रात में सिर्फ़ सात्विक भोजन ही करें। प्याज़, लहसुन जैसे तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करें।
सोलह श्रृंगार- करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। ऐसे में करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें, जैसे कि हाथों में मेहंदी लगाएं और पूरा श्रृंगार करें। मान्यता है कि ऐसा करने से चौथ माता प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
करवा चौथ के दिन किसकी पूजा करें?
करवा चौथ के दिन शिव परिवार अर्थात स्वयं भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव का परिवार सबसे आदर्श माना जाता है और भगवान शिव और देवी पार्वती दोनों को महान वैवाहिक सुख और भौतिक समृद्धि प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इस दिन अत्यधिक महत्व रखने वाले अन्य देवता चंद्रमा हैं। गणेशजी की पूजा का करवा चौथ पूजा में विशेष स्थान प्राप्त है।
व्रत करवा चौथ के पीछे की मान्यताएं
कहानी के अनुसार, पुराने दिनों में, करवा चौथ का त्योहार एक दुल्हन और एक विशेष रूप से चुनी गई महिला द्वारा अपने ससुराल में उसकी सबसे अच्छी दोस्त होने के लिए मनाया जाता था। दुल्हन अपने ससुराल में इस दोस्त को कुछ भी बता सकती थी, और यह ज्यादातर दोस्ती थी जिसका उद्देश्य दुल्हन को अपने ससुराल वालों को बेहतर तरीके से जानने और संचार स्थापित करने के लिए बर्फ तोड़ने में मदद करना था। हालांकि, समय के साथ, त्योहार का यह पहलू फीका पड़ गया और महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करने और करवा चौथ पर वैवाहिक बंधन का जश्न मनाने के लिए कार्तिक महीने में चार दिन उपवास करना शुरू कर दिया।
करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth)
सूर्योदय के साथ करवा चौथ व्रत के संकल्प के साथ शुरू होता है। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लेती हैं। व्रत का संकल्प लेने के बाद महिलाएं अपने मन में अपने लिए उपवास के नियम निर्धारित कर सकती हैं। वैसे करवा चौथ का व्रत निर्जला बिना भोजन और बिना पानी के होता है। लेकिन महिलाएं अपनी क्षमता के अनुसार संकल्प लेते हुए इसका निर्धारण कर सकती हैं।
पूरे दिन व्रत का सख्ती से पालन करें, खुद भी खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखने की कोशिश करें। इसके बाद विवाहित महिलाएं करवा चौथ का व्रत और उसके अनुष्ठान पति की लंबी उम्र के लिए पूरी श्रद्धा के साथ करती हैं। विवाहित महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और चंद्रमा को देखकर ही पानी और भोजन ग्रहण करती हैं!
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इस तरह खोले अपना करवाचौथ का व्रत
सुहागन महिलाएं सबसे पहले छलनी में दीपक रखें इसके बाद चांद को और फिर अपने पति को देखें। इसके बाद अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलें। पानी के साथ साथ पति को अपनी पत्नी को कुछ मिठाई भी खिलानी चाहिए। सुहागन महिलाओं को चांद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए। बिना अर्घ्य दिए व्रत पूरा नहीं माना जाता है।
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करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
राज्य के अनुसार
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निष्कर्ष (Karwa Chauth)
करवा चौथ का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक माना गया है। इस त्योहार में महिलाएं सुबह से व्रत का संकल्प लेते हुए शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है।
यह त्योहार ज्यादातर उत्तर भारत के राज्यों में विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में बहुत ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। करवा चौथ (Karwa Chauth) पर सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी से उठकर स्नान करके सोलह श्रृंगार करते हुए व्रत का संकल्प लेती हैं। इस त्योहार पर सभी सुहागिन महिलाएं किसी एक जगह एकत्रित होकर करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं और रात को चांद के दीदार करते हुए उपवास तोड़ती हैं। इस बार शुक्र के अस्त होने और चतुर्थी तिथि को लेकर करवा चौथ व्रत की तारीख में मतभेद है।