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हमारे आसपास अक्सर हम या आप देखते है कि आर्थिक एवं सामाजिक स्तर से लोगो में काफी ज्यादा असमानता होती है।जबकि उन्ही लोगो का यदि गहरे से अध्यन करे तो उनके अतीत की पारिवारिक प्रष्ठभूमि एवं भोतिक संशाधनो में ज्यादा अंतर नहीं होता है।फिर भी कुछ लोग या परिवार आर्थिक रूप से अमीर तथा कुछ गरीब बन जाते है।इनका मुख्य कारण सुविधा या संसाधनों का अभाव या अधिकता  नही,अपितु अंतर आने का मुख्य कारण एवं महत्त्वपूर्ण कारण दरअसल उनकी सोच का होता है ,क्योकि भविष्य में इंसान की उन्नति एवं अवनति उसकी सोच ही निर्धारित करती है। बड़ी सोच उत्कृष्ट नजरिया एवं सकारत्मक कार्यशैली से ही इंसान फर्श से अर्श तक का सफ़र तय कर सकता है। समाज में प्रतिष्ठा हो या बैंक बैलेंस इनमे दिन दिन कितनी वृद्धि होगी या कमी ये सब हमारी सोच से ही तय होता है। अत: श्रेष्ठ एवं बड़ी सोच का व्यक्ति एवं समाज के उत्थान में कितना बड़ा योगदान हो सकता है। इसी पर प्रकाश डालने हेतु वर्णित ब्लॉग है।


Often we or you see that there is a lot of inequality among people from the economic and social levels. Upon close examination, there appears to be little difference in the family backgrounds and physical resources of these individuals in the past.. Yet some people or families become financially rich and some poor. The main reason for this is not lacking or excess of facilities or resources, but the main reason and important reason for the difference is actually their thinking, Because in the future the progress and decay of a human being determine his thinking. Big thinking, excellent attitude, and a positive working style can decide the journey from floor to hail. Whether we have a reputation in the society or bank balance, how much will increase or decrease in these days, it is all determined by our thinking. Therefore, how great and great thinking can contribute to the upliftment of the individual and society. There is a blog described to shed light on this.