Impossible शब्द मनुष्य के लिए नहीं है – मनुष्य के लिए कुछ भी Impossible नहीं है। लेकिन दुख की बात है कि, उसे स्वयं पर ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियां विद्यमान हैं।
अस्तित्व में मौजूद हर वस्तु में ऊर्जा है। मनुष्य के भीतर भी ऊर्जा का असीम स्नोत है, लेकिन वह कभी यह विश्वास नहीं कर पाता है कि ऐसी अद्भुत और विलक्षण ऊर्जा उसके भीतर निहित है। मनुष्य अगर ठान ले, तो इस ऊर्जा की बदौलत कुछ भी कर सकता है। मनुष्य अपनी ऊर्जा को हर जगह खोजता है, लेकिन अपने भीतर झांककर नहीं देखता। वह हथेलियों से अपनी आंखें ढककर अंधकार की शिकायत जरूर करता है, लेकिन अपने भीतर नहीं झांकता।
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