श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व
कल्याण की इच्छा वाले मनुष्यों को उचित है कि मोह का त्याग कर अतिशय श्रद्धा-भक्तिपूर्वक अपने बच्चों को अर्थ और भाव के साथ श्रीगीताजी का अध्ययन कराएँ।
स्वयं भी इसका पठन और मनन करते हुए भगवान की आज्ञानुसार साधन करने में समर्थ हो जाएँ क्योंकि अतिदुर्लभ मनुष्य शरीर को प्राप्त होकर अपने अमूल्य समय का एक क्षण भी दु:खमूलक क्षणभंगुर भोगों के भोगने में नष्ट करना उचित नहीं है।
श्रीमद्भगवद्गीता अथवा गीताजी का पाठ आरंभ करने से पूर्व निम्न श्लोक को भावार्थ सहित पढ़कर श्रीहरिविष्णु का ध्यान करें–
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो-
यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।
सांख्ययोग-नामक दूसरा अध्याय
कर्मयोग- तीसरा अध्याय
ज्ञानकर्मसंन्यासयोग- चौथा अध्याय
कर्मसंन्यासयोग- पाँचवाँ अध्याय
आत्मसंयमयोग- छठा अध्याय
ज्ञानविज्ञानयोग- सातवाँ अध्याय
अक्षरब्रह्मयोग- आठवाँ अध्याय
राजविद्याराजगुह्ययोग- नौवाँ अध्याय
विभूतियोग- दसवाँ अध्याय
विश्वरूपदर्शनयोग- ग्यारहवाँ अध्याय
भक्तियोग- बारहवाँ अध्याय
गुणत्रयविभागयोग- चौदहवाँ अध्याय
पुरुषोत्तमयोग- पंद्रहवाँ अध्याय
दैवासुरसम्पद्विभागयोग- सोलहवाँ अध्याय
श्रद्धात्रयविभागयोग- सत्रहवाँ अध्याय
मोक्षसंन्यासयोग- अठारहवाँ अध्याय
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[…] श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व (Importance of Srimad … […]
[…] हम हमेशा जो बीत गया और जो आने वाला है उसके बारे में सोचते है और आज को हम भूल जाते है। श्री कृष्ण ने इस आज को ही जीवन बताया… हम हमेशा जो बीत गया और जो आने वाला है उसके बारे मे सोचने के चक्कर में आज का अनुभव करना भूल जाते है। जबकि आज के दिन का अनुभव ही जीवन होता है। वर्तमान समय का जो अनुभव होता है वही जीवन की परिभाषा है। […]